Hariyali Amavasya Par Pitra Dosh Se Mukti: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कुछ खास उपायों से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है। सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं, जो वर्षा ऋतु और हरियाली के आगमन का प्रतीक होती है। इस दिन विशेष पूजा, तर्पण और दान-पुण्य करने से पितृ दोष से मुक्ति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानें श्रावण मास की अमावस्या क्यों है विशेष और किन कारणों से इसे पितरों की शांति के लिए शुभ माना जाता है।
हरियाली अमावस्या 2025 कब है?
- तिथि प्रारंभ: 23 जुलाई 2025, रात 2:28 बजे
- तिथि समाप्त: 24 जुलाई 2025, रात 12:40 बजे
- मुख्य पर्व मनाने की तारीख: 24 जुलाई 2025, गुरुवारये भी पढ़ें : Aaj ka Rashifal: मिथुन को करियर में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी, कर्क को अचानक धन लाभ के योग, मेष-वृष का दैनिक राशिफल
हरियाली अमावस्या का महत्व
सावन की अमावस्या तिथि पर पितृ तर्पण और दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। इस दिन भगवान शिव, महालक्ष्मी और पितृ देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्यकर्म अनेक गुना फल देते हैं और पितृ दोष के कारण जीवन में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं। हरियाली अमावस्या का संबंध प्रकृति की हरियाली और जीवन में शांति एवं समृद्धि लाने से भी है।
हरियाली अमावस्या पर करें ये उपाय
वस्तु | लाभ |
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काले तिल | पितृ तृप्ति और दोष निवारण |
चूड़ा (पोहा), जौ, चीनी | पितरों को प्रिय वस्तुएं |
छाता, चप्पल, जूते | अशुभ ग्रह दोष की शांति |
सफेद वस्त्र, अन्न, नमक | महालक्ष्मी की कृपा |
साबुत उड़द, कंबल | राहु-केतु जैसे ग्रहों का प्रभाव कम करने के लिए |
सुबह स्नान व शिव पूजन
सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और शिवलिंग का दूध, गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर सफेद वस्तुएं जैसे चावल, दही, दूध, सफेद फूल अर्पित करें।
पितृ तर्पण व पिंडदान
इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें और जल में तिल व पुष्प डालकर तर्पण करें। ‘ॐ पितृदेवताभ्यो नमः’ का जाप करें।
पितृ दोष निवारण हेतु दान
ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें,जिसमें चावल, आटा, चीनी, नमक, दूध, दही आदि हो। पितरों के नाम पर छाता, काले तिल, जूते-चप्पल, कंबल, सफेद वस्त्र आदि दें।
पवित्र स्नान का महत्व
यदि संभव हो तो इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। घर पर स्नान करते समय भी स्नान जल में गंगाजल या तिल मिलाएं।
रात्रिकालीन पूजा
पूजा की थाली में ‘ॐ’ अक्षर बनाएं, महालक्ष्मी यंत्र स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा करें। इससे घर में समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है।
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