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Harish Rawat के ट्वीट से सियासी गलियारों में हड़कंप, दिए पार्टी छोड़ने के संकेत!

Harish Rawat के ट्वीट से सियासी गलियारों में हड़कंप, दिए पार्टी छोड़ने के संकेत! Harish Rawat's tweet stirred up political corridors, indicated to leave the party!

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Bansal News
Harish Rawat के ट्वीट से सियासी गलियारों में हड़कंप, दिए पार्टी छोड़ने के संकेत!

देहरादून। अगले साल की शुरूआत में प्रस्तावित उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव हरीश रावत Harish Rawat ने बुधवार को यह कहते हुए सियासी हलकों में हडकंप मचा दिया कि पार्टी संगठन उनके साथ कथित तौर पर असहयोग कर रहा है और उनका मन सब कुछ छोडने को कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने ट्वीट किया, ‘‘ है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है ।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं और जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत, अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है ।’’ हांलांकि, रावत ने कहा, ‘‘फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है कि 'न दैन्यं न पलायनम्' । बड़ी उहापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे ।’’

जब इस ट्वीट के बारे में रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार से संवाददाताओं ने पूछा तब उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर की कुछ ताकतें उत्तराखंड में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित करने के लिए भाजपा के हाथों में खेल रही हैं । उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड में हरीश रावत का कोई विकल्प नहीं है । वह प्रदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं जिन्होंने पार्टी के झंडे को उठाकर रखा है । लेकिन कुछ ताकतें राज्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावनाओं को समाप्त करने के लिए भाजपा के हाथों में खेल रही हैं ।’’

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यह पूछे जाने पर कि क्या रावत की परेशानी का संबंध उत्तराखंड में पार्टी मामलों के प्रभारी देवेंद्र यादव से संबंध है, कुमार ने कहा, ‘‘देवेंद्र यादव हमारे प्रभारी हैं । उनकी भूमिका पंचायती प्रमुख की है । लेकिन पंचायती प्रमुख अगर पार्टी कार्यकर्ताओं के हाथ बांधना शुरू कर देंगे और पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे, तो हाई कमान को इसका संज्ञान लेना चाहिए ।’’ यादव और हरीश रावत के एक दूसरे से अच्छे संबंध नहीं बताए जाते हैं । जहां रावत समर्थकों का कहना है कि 2022 विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लडे़ जा रहे हैं वहीं यादव यह कहते रहे हैं कि आगामी चुनाव पार्टी सामूहिक नेतृत्व में लडेगी ।

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