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Harda Factory Debris: हरदा हादसे के मलबे का वैज्ञानिक ढंग से नहीं किया निपटारा, स्वास्थ्य के लिए पैदा कर रहा संकट

Harda Factory Debris: हरदा हादसे के बाद आस पास के क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है फैक्ट्री का केमिकल युक्त मलबा.

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Bansal news
Harda Factory Debris: हरदा हादसे के मलबे का वैज्ञानिक ढंग से नहीं किया निपटारा, स्वास्थ्य के लिए पैदा कर रहा संकट

हाइलाइट्स

  • केमिकल युक्त मलबे को समतल कर सीधे जमीन में मिलाया
  • केमिकलों को पास स्थित अजनाल नदी में बहाया गया
  • वैज्ञानिक ढंग से कचरे का नहीं हुआ निपटारा
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Harda Factory Debris: एमपी के हरदा में अवैध पटाखा फैक्ट्री में अबतक 13 लोगों की मौत हो गई है. कई लोग इलाज कराने के बाद घर पहुंच गए हैं. वहीं कई लोगों का अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है. हादसे को लेकर शासन प्रशासन ने अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभा ली है. लेकिन हादसे वाली जगह पर केमिकल युक्त मलबा (Harda Factory Debris) वहां रहने वाले लोगों के लिए अब समस्या बन रहा है. इस मलबे को आनन फानन में जमीन में दबाया गया है. जो भविष्य में कैंसर जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है.

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   हरदा मामले में अबतक क्या हुआ

हरदा की अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ था हादसे में अबतक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे में मृतकों के परिजनों और घायलों के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने मुआवजे की घोषणा की. 3 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं. फैक्ट्री के मालिक, मुख्य आरोपी समेत 3 लोग गिरफ्तार हुए. सीएम के निर्देश पर हरदा के SP और कलेक्टर को हटाया गया. जांच के लिए समिति बनाई. 

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   हादसे का मलबा रहवासियों के लिए संकट

हादसे के बाद फैक्ट्री के आसपास केमिकल युक्त मलबा फैल गया. जिसमें गन पाउडर, पोटेशियम, सल्फर, कार्बन जैसे घातक केमिकल भी शामिल हैं. हादसे के बाद से प्रशासन लगातार मलबा हटाने में लगा हुआ है. घटना स्थल पर मलबे को सीधा जमीन में दफन किया जा रहा है. पर्यावरणविदों ने मलबे को वैज्ञानिक ढंग से हटाने की सिफारिश की थी.

   वैज्ञानिक तरीके से नहीं हो रहा मलबे का निपटारा

पर्यावरण, रसायन विज्ञान के जानकारों का कहना है कि हादसे के बाद मलबे को सीधे जमीन में मिलाया जा रहा है. साथ ही कुछ केमिकल पास में स्थित अजनाल नदी में भी बहाए गए हैं. पटाखों के केमिकल बारिश के साथ जमीन में जाएंगे. वहीं नदी में मिला पानी जलीय जीवों के लिए भी घातक होगा. 

जिसके बाद यहां रहने वाले लोगों के पास ये पानी भू-जल के माध्यम से पहुंचेगा.  यह पानी पीने से लोगों को कैंसर समेत किडनी, त्वचा, पेट संबंधी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. यदि पानी आंखों में गया तो इसके भी कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं. फैक्ट्री का केमिकल युक्त कचरा क्षेत्र की जमीन को विषाक्त कर देगा.जिसके भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं. 

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   पर्यावरण कंट्रोल बोर्ड रहा नदारद

दीपावली के अगले दिन प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी पटाखों के कचरे का निष्पादन कराने के लिए निकलते है. साथ ही प्रदूषण लेवल की रिपोर्ट करते हैं. लेकिन हरदा हादसे में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने अभी तक मौके पर निरीक्षण करने नहीं पहुंचे. इस मामले में फैक्ट्री का कचरा वहीं छोड़ दिया गया. जिसके भविष्य में विपरीत परिणाम हो सकते हैं.

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