Harbhajan Singh Retirement: भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि सभी अच्छी चीजों का अंत एक दिन हो जाता है। आज मैं उस खेल से विदा लेता हूं, जिसने मुझे जीवन में सबकुछ दिया। मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस 23 साल की लंबी यात्रा को सुंदर और यादगार बनाया। आपका तहे दिल से शुक्रिया।
हमेशा सुर्खियों में रहे
बतादें कि महज 17 साल की उम्र में भारतीय टीम में डेब्यू करने वाले हरभजन अपने क्रिकेट करियर में हमेशा सुर्खियों में रहे। 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज से लेकर 2008 में मंकी गेट का मामला या पहले आईपीएल में श्रीसंत को चांटा मारना या फिर 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में बॉलिंग नहीं करना। हमेशा हरभजन सिंह मीडिया की सुर्खियों में रहे। उनके करियर में कुछ अच्छी यादें हैं, तो कुछ बुरी यादें भी।
पिता बियरिंग की फैक्ट्री चलाते थे
3 जुलाई 1980 को जालंधर में जन्में हरभजन सिंह ने आज अपने लंबे इंटरनेशनल करियर को आखिरकार विराम दे दिया। बतादें कि उनका जन्म एक कारोबारी परिवार में हुआ था। उनके पिता बियरिंग बॉल की फैक्ट्री चलाते थे। परिवार व्यवसाय से जरूर जुड़ा हुआ था लेकिन उनके पिता शुरूआत से ही चाहते थे कि बेटा क्रिकेटर बने। उन्होंने भज्जी को क्रिकेट पर ही ध्यान देने को कहा था।
All good things come to an end and today as I bid adieu to the game that has given me everything in life, I would like to thank everyone who made this 23-year-long journey beautiful and memorable.
My heartfelt thank you 🙏 Grateful .https://t.co/iD6WHU46MU— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) December 24, 2021
20 साल की उम्र में पिता का निधन
हरभजन जब महज 20 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। हरभजन तब भारतीय क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट और वनडे डेब्यू कर चुके थे। हालांकि उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। इस कारण से उन्हें टीम से बाहर भी होना पड़ा था। एक तरफ पिता का निधन और दूसरी तरफ खराब प्रदर्शन ने उन्हें अंदर से तोड़कर रख दिया था। ऐसे में उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया और घर चलाने के लिए अमेरिका में ड्राइवर बनने के लिए जाने वाले थे। लेकिन किस्मत ने उन्हें क्रिकेट में ही रोके रखा।
ऐसे आए टीम में
दरअसल, 2001 में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेले गए सीरीज में अनिल कुम्बले को खेलना था, लेकिन वे चोटिल हो गए। ऐसे में कप्तान सौरव गांगुली ने कुम्बले की जगह भज्जी को लने की मांग की। हरभजन ने इस सीरीज में वापसी करते हुए जबरदस्त गेंदबाजी की। इंडिया ने इस सीरीज में 1-0 से पिछड़ने के बाद वापसी की और 2-1 से ऐतिहासिक सीरीज जीती। तीन मैच में भज्जी ने 32 विकेट लिए। इस दौरान टेस्ट हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय बने।
पोंटिंग खौफ खाते थे
कहा जाता है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग तो कई साल तक उनकी गेंद ही नहीं समझ पाते थे। 2001 की सीरीज में उन्होंने पोंटिंग को पांच बार 12 रन से कम पर आउट किया था। अमेरिका में ड्राइवर बनने का ख्वाब देखने वाले हरभजन सिंह इस सीरीज के बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हरभजन जब भी खेलते वे अलग ही जोन में रहते। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका गेम अलग ही लेवल पर होता था।
विवादों में फंसे
साल 2008 में वे इसी टीम के खिलाफ अपने करियर के सबसे बड़े विवाद में फंस गए। सिडनी टेस्ट के दौरान उन पर एंड्रयू साइमंड्स पर नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगा। उन्हें पहेल बैन कर दिया गया, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। इस विवाद के चलते भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्तों पर भी बुरा असर पड़ा था। सीरीज के दौरान भी काफी तनाव था। तब बड़ी मशक्कत के बाद इस मामले को सुलटाया गया था। इसी साल हरभजन गलत वजहों से एक बार फिर से खबरों में आए। दरअसल, IPL के पहले ही सीजन में मुंबई इंडियंस की तरफ से खेलते हुए उन्होंने किंग्स इलेवन पंजाब के श्रीसंत को थप्पड़ जड़ दिया। हरभजन को तब पूरे सीजन के लिए बैन कर दिया गया था। हालांकि बाद में वे मुंबई के लिए खेले और अच्छी खासी कामयाबी भी हासिल की।
मांगनी पड़ी थी माफी
हरभजन सिंह अपने करियर में कई बार विवादों में फंसे। साल 2000 में करियर के शुरुआती दिनों में एनसीए में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने अनुशासन तोड़ा। इसके चलते उन्हें एनसीए से बाहर कर दिया गया था। इसी तरह मार्च 2002 में गुवाहाटी में जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच के दौरान एक फोटो ग्राफर को नहीं आने देने पर वे पुलिसवालों से भिड़ गए थे। इससे उनके हाथ में चोट आई थी, हालांकि तब सौरव गांगुली ने उनका बचाव किया और मैच छोड़ने की धमकी दे दी थी। इसी तरह न्यूजीलैंड दौरे पर उन्होंने एक बार अपने गंदे जूतों की जानकारी नहीं दी। इस वजह से उनपर 200 डॉलर का जुर्माना लगा। साल 2006 में एक शराब कंपनी के विज्ञापन के लिए उन्होंने पगड़ी हटा दी। इस पर भई काफी बवाल हुआ था और भज्जी के पुतले जलाए गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने माफी मांग कर इस मामले को शांत किया था।
क्रिकेट करियर
हरभजन सिंह के क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 417 विकेट, 236 वनडे में 269 विकेट और 28 टी-20 मैचों में उन्होंने 25 विकेट निकाले हैं। इस दौरान उन्होंने कई बार अपने बल्ले से भी कारनामा किया।