हाइलाइट्स
- पिछले साल 40 हजार हापुस आम बिके
- खत्म होने के 20 दिन तक डिमांड रही
- रत्नागिरी से 90 हजार हापुस आम आए
Bhopal Hapus Aam Mela 2025: अरेरा कॉलोनी के दत्त मंदिर स्थित श्री नाना महाराज तराणेकर महाराज हॉल में शुक्रवार से हापुस आम का मेला लगा। यहां पहले दिन 12 घंटे में 300 से ज्यादा आम की पेटियां बिक गई। जिससे करीब 13 लाख रुपए की आवक हुई हैं। यह मेला रोजाना सुबह 10 से रात 10 बजे तक चलेगा। जिसका रविवार को आखिरी दिन है।
रजिस्टर्ड किसान सीधे बेच रहे आम
रत्नागिरी जिले से GI टैग रजिस्टर्ड 11 किसान हापुस आम बेचने आए हैं। करीब 3 हजार पेड़ों से 90 हजार से अधिक आम तोड़कर लाए गए हैं। करीब 1200 से अधिक लकड़ियों की पेटियों में 4 मई तक बेचे जाएंगे। यहां आम खेरची भाव में बेचे जा रहे। यह व्यापारियों के लिए नहीं है।
इस बार 50 हजार आम ज्यादा आए
आयोजक भरत साठे कहते हैं मेले का यह दूसरा साल है। पिछले साल मेला खत्म होने के 20 दिन तक डिमांड आती रही लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाए। पिछले साल 600 पेटियां आम बेचे गए थे। जिसमें 40 हजार से अधिक आम थे। इस बार 1200 पेटियों में आम लाए गए हैं। यह पिछले साल से करीब 50 हजार आम ज्यादा हैं।
50 से 100 रुपए का एक हापुस आम
रत्नागिरी के किसान रूपेश देसाई कहते हैं कि इस अलग-अलग साइज के हिसाब आम की कीमत तय होती है। यहां 180 ग्राम से 300 ग्राम तक का आम है। सबसे कम वजनी आम 600 रुपए दर्जन तो सबसे ज्यादा वजनी 1200 रुपए तक बिक रहा हैं। इस तरह एक आम की कीमत 50 से 100 रुपए है। यह किलो से नहीं बलकि दर्जन में बिकता है।
महाराष्ट्र का हापुस खाने में सबसे अलग
रत्नागिरी संगमेश्वर के किसान अनिल पंवार कहते हैं वैसे देशभर में अलग-अलग किस्म के आम लगाए जाते हैं लेकिन हापुस आम महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, देवगढ़ और रायगढ़ में लगाया जाता है। इसका 70 प्रतिशत आम यूरोप, जापान, यूएई, अमेरिका सहित अन्य देशों में एक्सपोर्ट होता हैं। थोक में भी यह दर्जन से ही बिकता है।
फ्रीज में रखने से बिगड़ता है स्वाद
हापुस आम घास में पकाया जाता है। यह पेड़ से तोड़ने के बाद 10 दिन में पक जाता है। इसे घर में लोग कागज में भी रख सकते हैं। फ्रीज में रखने से आम का स्वाद बिगड़ जाता है। खाने से 30 मिनट पहले पानी में डालकर रखे। जिससे इसके अंदर की गर्मी कम हो जाती है।
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नकली हापुस खाने में लगता है बेस्वाद
शहर के संजय जोशी कहते हैं कई बार हापुस के नाम से हम घर नकली आम ले आए। जो कार्बाइट में पकाया गया था। नकली हापुस आम खाने में बेस्वाद होता है। डॉ वंदना कुंदरगी कहती हैं मैं मूलत: महाराष्ट्र से हूं, इसलिए हापुस आम की पहचान है। इसकी सेल्फ लाइफ ज्यादा होती है। यह जल्दी इंफेक्टेड नहीं होता। ये इसकी खासीयत है।
ऐसे करें पहचान
– कच्चा हापुस आम बाहर से हरा, अंदर से सफेद और खाने में खट्टा होता है।
– पकने पर यह बाहर से पीला और अंदर से केसरी होता है। खाने में मिठा होता है।
– 15 फीट दूसरी से इसकी सुगंध आने लगती है।
सभी फोटो मोहम्मद ओसाफ
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