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नई दिल्ली। सुशांत सिहं राजपूत को इस दुनिया को छोड़े 7 महीने से अधिक समय हो चुका है। लेकिन आज तक ये साफ नहीं हो पाया है कि आखिर उनकी मौत कैसे हुई। सुशांत अगर आज इस दुनिया में रहते तो वे 35 साल के हो जाते। आज उनका 35 वां जन्मदिन है। ऐेसे में हम आज उन्हें याद करते हुए उनसे जुड़े कुछ किस्से आपको बताएंगे जो शायाद ही किसी को पता हो।
उन्हें साइंस की दुनिया काफी पसंद थी
सुशांत जैसा की उनका नाम था। वैसा ही वे अपने बचपन में थे। काफी शांत, शर्मीला लेकिन पढ़ाई लिखाई में होशियार। सुशांत को साइंस की दुनिया काफी पसंद थी। यही कारण है कि उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनयरिंग में एडमिशन लिया था। हालांकि बाद में उन्होंने एक्टिंग के लिए पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। लेकिन उनका साइंस से नाता नहीं छुटा। वे अभिनेता बनने के बाद भी कॉलेज में जाया करते थे। सुशांत डीसीई में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र थे। उन्होंने कॉलेज में एडमिशन के दौरान 7वां रैंक हासिल किया था।
पढ़ाई छोड़कर एक्टिंग की दुनिया में ऐसे आए
सुशांत सिंह राजपूत इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो जरूर कर रहे थे। लेकिन दिल्ली में प्रसिद्ध थिएटर निर्देशक और कलाकार नादिरा बब्बर से मुलाकात के बाद उनका मन एक्टिंग में लगने लगा था। वो नादिरा के साथ जुड़ गए और उनके नाटको में काम करने लगे। वो अपने काम को लेकर काफी अनुशासित थे। उन्होंने जो भी काम किया काफी शिद्दत से किया। यही कारण है कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ कर मंबई जाने का फैसला किया और उन्होंने अपनी मेहनत से इसे सही भी साबित किया।
जब टीचर ने सुशांत को क्लास से बाहर निकाल दिया
सुशांत 2011 में ही हायर हस्टडीज के लिए बिहार से दिल्ली आ गए थे। उन्होंने यहां 11वीं में कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल में एडमिशन लिया था। स्कूल के पहले दिन ही उन्हें टीचर ने क्सास से बाहर कर दिया। दरअसल, हुआ ये था कि उन्होंने पहले दिन ही कई दोस्त बना लिए थे। उन्हीं दोस्तों में से एक थी नाव्या जिंदल। दोनों क्लास में एक साथ बैठे थे तभी सुशांत ने एक मजेदार जोक सुना दिया। सभी लोग जोर से हंसने लगे। बस क्या था क्लास टीचर ने इसे नोटिस करते हुए उन दोनों को क्लास से बाहर कर दिया। इस दौरान वे लोग क्लास के बाहर कान पकड़कर खडे रहे।
स्कूल टीचर उन्हें कैसनोवा बुलाया करते थे
सुशांत स्कूल में सबके फेवरेट थे। वे स्कूल टाइम में आकर्षण का क्रेंद्र थे। यही कारण है कि उनका ज्यादा उठना बैठना लड़कियों के साथ था। इस बात से उनके कमेस्ट्री टीचर काफी परेशान रहते थे। उन्होंने तो सुशांत को कैसनोवा (लड़कियों में इंट्रेस्ट लेने वाला) बुलाना शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि सुशांत को पढ़ना लिखना नहीं है बस वह आवारागर्दी करता है।
सुशांत को मुली पराठे काफी पसंद थे
सुशांत सिंह राजपूत को मुली के पराठो का काफी शौक था। वो स्कूल के दिनों में अक्सर मुली पराठे खाने के लिए रेंट पर कार लेकर दिल्ली से बाहर चल जाया करते थे। सबसे खास बात ये है कि उनका उस दौरान ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था। फिर भी वो गाड़ी लेकर अपने दोस्तों के साथ निकल जाते थे।