नई दिल्ली। Hanuman Jayanti 2023 गुरूवार को पूरे देश में हनुमान जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाएगी। ऐसे में आज हम आपको उनके नामों से जुड़े कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। जिन्हें अपनाकर आप भी एक संकट मोचन को प्रसन्न कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर भगवान श्री हनुमान जी के 108 नाम कौन-कौन से हैं। साथ ही जानेंगे कि इन 108 नामों से 12 नामों से जुड़े उपाय कौन-कौन से हैं जिन्हें अपनाकर आप भी बजरंग बली की कृपा पा सकते हैं।
वैसे तो बजरंगबली के 108 नाम हैं। लेकिन प्रमुख रूप से हनुमानजी के 12 नाम बताए जाते हैं। बलशालियों में सर्वश्रेष्ठ है हनुमानजी। तो आइए जानते हैं कि हनुमानजी के नामों का आखिर क्या रहस्य है।
1- मारुति –
ये नाम हनुमानजी का सबसे प्रचलित नाम हैं। धर्म ग्रंथ के अनुसार ये उनका बचपन का नाम है। साथ ही इसे उनका असली नाम भी माना जाता है।
2- अंजनी पुत्र –
चूंकि हनुमान की माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र या आंजनेय भी कहते हैं।
3- केसरीनंदन –
हनुमानजी के पिता का नाम केसरी था। इसीलिए उन्हें केसरीनंदन भी कहा जाता है।
4 – हनुमान –
ये तो सभी जानते हैं हनुमान जी बड़े बलशाली हैं। जब बालपन में उन्होंने सूर्य को अपने मुंह में भर लिया था। तो इंद्र देव द्वारा क्रोधित होकर बाल हनुमान पर अपने वज्र से प्रहार किया गया था। जिसके बाद इस वज्र प्रहार के कारण मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर चोट लग गई थी। जिसके बद से उन्हें हनुमान जी कहने लगे।
4- पवन पुत्र –
चूंकि मारूति को वायु देवता भी मानते हैं इसीलिए इनका नाम पवन पुत्र पड़ा। आपको बता दें उस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। मारुत यानि वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। वैसे उनमें पवन के वेग के समान उड़ने की शक्ति होने के कारण भी यह नाम दिया गया।
6 – शंकरसुवन –
हनुमाजी को शंकर सुवन अर्थात उनका पुत्र भी माना जाता है क्योंकि वे रुद्रावतार थे।
7 – बजरंगबली –
हनुमान जी का शस्त्र चूंकि वज्र है। वे इसे धारण किए हैं। वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें वज्रांगबली कहा जाने लगा। अर्थात वज्र के समान अंग वाले बलशाली। लेकिन यह शब्द ब्रज और अवधि के संपर्क में आकर बजरंगबली हो गया। बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली भी सुंदर शब्द है।
8 – कपिश्रेष्ठ –
आपको बता दें हनुमानजी का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था। इसका उल्लेख भी रामायणा आदि ग्रंथों में मिलता है। जिसमें बताया गया है कि हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम आदि विशेषण प्रयुक्त किए गए। उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंका दहन इसका प्रमाण है कि वे वानर थे। इतना ही नहीं रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है। तो वहीं दूसरी ओर उन्हें लोमश ओर पुच्छधारी भी प्रमाणों में व्यक्त किया है। जिससे यह सिद्ध होता है कि वानर थे।
9- वानर यूथपति –
आपको बता दें हनुमानजी का एक और नाम वानर यूथपति भी है। यानि जो वानर सेना का झंडपति है। अंगद, दधिमुख, मैन्द- द्विविद, नल, नील और केसरी आदि कई यूथपति थे।
10 -रामदूत –
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है रामदूत। जो भगवान राम के दूत हैं। यानि प्रभु श्रीराम का हर कार्य करने वाले।
11 – पंचमुखी हनुमान –
आपको बता दें जब भगवान श्री हनुमान पातल लोक में अहिरावण का वध करने गए थे। उस समय वहां उनहें पांच दीपक पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले थे। ये दीपक अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। गं्रथों में बताए अनुसार इन पांचों दीपकों को एक साथ बुझाने पर ही अहिरावन का वध होना सुनिश्चित था। यही कारण था कि भगवान श्रीहनुमान ने पांच मुख धारण किए थे। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इन पांच मुखों को धारण करके उन्होंने उन पांचों दीपों को बुझाया था। जिसके बाद अहिरावण का वध कर राम-लक्ष्मण को वहां से मुक्त करा ले गए थे। इतना ही नहीं मरियल नामक दानव को मारने के लिए भी यह रूप धरा गया था।