नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में हलषष्ठी Hal Shashthi August 2021 व्रत का अपना अलग महत्व है। संतान की दीर्घायु के लिए किया जाने वाले इस व्रत की अपनी महत्ता है। पर क्या आपको पता है कि इस व्रत को हलषष्ठी व्रत क्यों कहा जाता है। आइए हम आपको बताते हैं।
इसलिए कहते हैं हल षष्ठी
पंडित सनत कुमार खम्परिया के अनुसार बलराम जी का मुख्य शस्त्र हल और मूसल होने के कारण इस व्रत को हलधर (Haldhar) कहते हैं। इन्हीं के नाम पर इस त्योहार को हलषष्ठी (Hal Shashti) भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन बिना हल जोते उगाए गए अन्न को खाने का विशेष नियम व महत्व है। इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन वर्जित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है।
हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी व्रत के नाम से जाना जाता है। इसी दिन बलराम जयंती Balram jayanti भी मनाई जाती है। इसे हल छठ, पीन्नी छठ या खमर छठ भी कहा जाता हैं। इस साल 2021 में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि यानि 28 अगस्त शनिवार को पड़ रही है।
जानें बलराम जयंती या हलषष्ठी व्रत पूजा का शुभ समय, पूजा विधि और महत्व।
हलषष्ठी व्रत के लिए शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 27 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार को शाम 6.50 बजे से शुरू हो रही है। जो अगले दिन यानी 28 अगस्त को रात 8.55 बजे तक रहेगी।
बनाते हैं छट माता का चित्र
हलषष्ठी पर घर या बाहर दीवाल पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाते हैं। जिसके बाद भगवान गणेश और मां गौरा का पूजन किया जाता है। घर में ही तालाब बनाकर महिलाएं उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं। इसी स्थान पर बैठकर पूजन होता है। जिसमें हल षष्ठी की कथा सुनी जाती हैं।