Qyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मस्जिद केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार, 31 मई को मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दे दिया है। हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी परिसर के अंदर श्रृंगार गौरी की पूजा करने के अधिकार की मांग वाली याचिका की सुनवाई करने के जिला अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।
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हाईकोर्ट के फैसले के बाद श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई का रास्ता साफ होने के बाद अब जिला कोर्ट वाराणसी श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल जज बेंच ने सुनाया फैसला
बता दें कि जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल जज बेंच ने फैसला सुनाया। वाराणसी की एक अदालत में पांच महिलाओं के मामले में जिला जज के फैसले के खिलाफ दायर अर्जी के बाद यह फैसला आया है। मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए विष्णु शंकर जैन ने इसे “ऐतिहासिक” फैसला बताया है।
“I hope that the day is not far when we will construct a grand Shiv temple there and the present structure will be removed,” says Hari Shankar Jain, advocate representing the Hindu side on Allahabad HC upholding the maintainability of suit filed by five women worshippers seeking… pic.twitter.com/oCZVc2Jtqz
— ANI (@ANI) May 31, 2023
जानिए पूरा मामला
दरअसल, दिल्ली की राखी सिंह समेत पांच महिलाओं ने दो साल पहले वाराणसी की जिला अदालत में याचिका दायर की थी। जिसमें श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। लेकिन इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी।
महीनों की सुनवाई के बाद जिला जज की अदालत ने 12 सितंबर को फैसला सुनाया था। जिला जज ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज करते हुए राखी सिंह केस को चलने की इजाजत दे दी। जिसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद की व्यवस्था समिति ने वाराणसी के जिला जज के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट की याचिका में तर्क दिया कि वह एक बार फिर दोहरा रहा है कि इस मामले की सुनवाई 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत नहीं की जा सकती है।
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