वाराणसी (उप्र)। Gyanvapi Campus Controversy वाराणसी की जिला अदालत ज्ञानवापी परिसर में स्थित ‘व्यास जी का तहखाना’ की चाबी जिलाधिकारी को ‘सौंपने’ से संबंधित मामले की सुनवाई शुक्रवार को कचहरी परिसर में शोक के कारण नहीं कर सकी और अब इसके लिए अगली तारीख 29 नवंबर तय की गई है।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने क्या कहा
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित ‘व्यास जी का तहखाना’ को जिलाधिकारी को सौंपने के मामले में आज की सुनवाई एक वरिष्ठ अधिवक्ता के निधन पर कचहरी में शोक की वजह से नहीं हो सकी। यादव ने बताया कि जिला जज ए के विश्वेश ने इस मामले में सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है। यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि अधिकारियों ने 1993 में ‘व्यास जी का तहखाना’ के नाम से जाने जाने वाले तहखाने पर ताला लगाकर बैरिकेड लगा दिये थे। लेकिन इससे पहले तहखाने का इस्तेमाल पुजारी सोमनाथ व्यास द्वारा पूजा के लिए किया जाता था।
18 नवंबर के लिए रखा था आदेश सुरक्षित
यादव ने इसके पहले अनुरोध किया था कि तहखाने में रखी सामग्री के साथ छेड़छाड़ की आशंका के कारण तहखाने की चाबी जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी जाए। यादव ने बताया कि आठ नवंबर को याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने 18 नवंबर के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया था। मगर रस्तोगी द्वारा अर्जी दाखिल करने के बाद अदालत ने उनसे अपना पक्ष रखने को कहा है।
आपत्ति कर रहा है प्रस्तुत
यादव ने इसके बताया था कि वकील विजय शंकर रस्तोगी ने जिला जज के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर कहा कि पूर्व के मुकदमे में ज्ञानवापी के संपूर्ण परिसर पर दावा किया गया था, लेकिन अब सोमनाथ व्यास जी के नाती द्वारा मात्र तहखाने की मांग करके परिसर का एक हिस्सा पाने का प्रयास हिंदुओं के साथ छल है।
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