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MP High Court, Gwalior Nagar Nigam Commissioner Illegal Appointment
MP High Court: ग्वालियर नगर निगम आयुक्त संघप्रिय गौतम की नियुक्ति पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन्हें नगर निगम आयुक्त के रूप में अवैध रूप से पदस्थ बताया है। कोर्ट ने यह निर्णय धारा 54 के उल्लंघन को आधार बनाकर दिया, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि ऐसे पदों पर केवल वैध आदेश के तहत ही प्रतिनियुक्ति की जा सकती है। सरकार द्वारा धारा 54 के अंतर्गत कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया था, जो इस नियुक्ति को गैरकानूनी बनाता है।
कोर्ट ने दिया 15 दिन का अल्टीमेटम
कोर्ट (MP High Court) ने नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत 61 कर्मचारियों को भी उनके मूल विभाग में वापस भेजने के आदेश दिए हैं। सभी कर्मचारियों को 15 दिनों के भीतर अपने-अपने मूल पदों पर लौटने को कहा गया है। कोर्ट ने इस कार्रवाई को पारदर्शिता और प्रशासनिक व्यवस्था की मजबूती के लिए आवश्यक बताया है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब नगर निगम ने स्वास्थ्य अधिकारी की पोस्ट पर एक पशु चिकित्सक डॉ. अनुज शर्मा को प्रतिनियुक्त किया। इस पर नगर निगम की ही अधिकारी डॉ. अनुराधा ने सवाल उठाए और कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर केवल MBBS योग्यताधारी व्यक्ति की ही नियुक्ति की जा सकती है। पशु चिकित्सक इस पद के लिए योग्य नहीं है।
डॉ. अनुज शर्मा को झाबुआ या आलीराजपुर स्थानांतरित करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि डॉ. अनुज शर्मा को ग्वालियर से हटाकर झाबुआ या आलीराजपुर में पदस्थ किया जाए, जहां उनकी सेवाएं पशु चिकित्सालय के रूप में अधिक उपयुक्त होंगी। कोर्ट ने इस स्थानांतरण को पशुओं और प्रशासन दोनों के हित में बताया।
निगम के एडिशनल कमिश्नर पर भी कोर्ट की नजर
कोर्ट (MP High Court) ने नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर अनिल कुमार दुबे को झूठा शपथ पत्र दाखिल करने का दोषी माना है। हालांकि कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई को स्थगित करते हुए कहा है कि उचित समय पर इस पर निर्णय लिया जाएगा। वहीं, आयुक्त संघप्रिय गौतम को नोटिस तामील कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हाईकोर्ट के इस फैसले का असर सिर्फ ग्वालियर तक सीमित नहीं रहेगा। क्योंकि संघप्रिय गौतम की नियुक्ति जिस धारा 54 के उल्लंघन में अवैध मानी गई है, उसी आधार पर राज्य के अन्य नगर निगम आयुक्तों की नियुक्तियों पर भी सवाल उठ सकते हैं। इससे आने वाले दिनों में प्रदेशभर में निगम प्रशासन में बड़ा फेरबदल संभव है।
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