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हाइलाइट्स
- हाईकोर्ट ने कलेक्टर की माफी ठुकराई
- दंदरौआ जमीन मामले में तथ्य छुपाए
- एसडीएम की माफी कोर्ट ने दर्ज की
Bhind Collector News: ग्वालियर हाईकोर्ट ने दंदरौआ सरकार मंदिर ट्रस्ट से जुड़े जमीन विवाद के मामले में भिंड कलेक्टर किरोड़ी लाल मीणा को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कलेक्टर पर कोर्ट में झूठा शपथ पत्र देने, तथ्यों को छुपाने और संभागायुक्त से प्राप्त महत्वपूर्ण पत्राचार का उल्लेख न करने पर गंभीर टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान जब कलेक्टर ने बिना शर्त माफी मांगी, तो कोर्ट ने उसे ठुकराते हुए कहा कि मामला साधारण भूल नहीं, बल्कि न्यायालय को भ्रमित करने की गंभीर कोशिश है।
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भिंड कलेक्टर किरोड़ी लाल मीणा[/caption]
मंदिर के सामने स्थित जमीन पर विवाद
दंदरौआ सरकार मंदिर के सामने की जमीन मंदिर ट्रस्ट को आवंटित है। लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में इस भूमि से शासन का नाम हटाया गया था, जिसके बाद गड़बड़ी सामने आते ही तत्कालीन तहसीलदार राजनारायण खरे को निलंबित कर दिया गया। मामले की जांच एसडीएम मेहगांव नवनीत शर्मा को सौंपी गई थी, जिन्होंने रिपोर्ट तैयार करने में करीब नौ महीने का समय लिया। इस देरी पर भी हाईकोर्ट पहले नाराजगी जता चुका है।
कलेक्टर ने कोर्ट में पेश की गलत जानकारी
इस रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर मीणा ने 10 नवंबर को शपथ पत्र देकर कहा कि 11 अप्रैल 2025 को ही पूरा प्रस्ताव संभागायुक्त कार्यालय भेज दिया गया था और मामला वहां लंबित है। लेकिन बाद में यह सामने आया कि संभागायुक्त ने मई और जुलाई में कलेक्टर को पत्र भेजकर कहा था कि प्रस्ताव अधूरी जानकारी के साथ भेजा गया है। इन पत्रों का उल्लेख कलेक्टर ने अपने शपथ पत्र में नहीं किया।
कोर्ट ने इसे तथ्यों को छुपाने और अदालत को गुमराह करने जैसा माना। जज ने स्पष्ट कहा कि कलेक्टर ने संभागायुक्त पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश की, जबकि तथ्य रिकॉर्ड में अलग ही स्थिति बताते हैं।
कोर्ट का सख्त रुख
सुनवाई के दौरान कलेक्टर मीणा ने आग्रह करते हुए कहा कि उनकी मंशा गलत नहीं थी और वे बिना शर्त माफी मांगते हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। जज ने कहा, “आपकी गलती माफी से नहीं, तथ्यात्मक जवाब से ठीक होगी।”
अदालत ने टिप्पणी की कि न्यायालय में गलत जानकारी देना गंभीर अपराध है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
बता दें, दो दिन पहले ही SIR को लेकर निर्वाचन आयोग ने मध्य प्रदेश के जिन सात कलेक्टरों को फटकार लगाई थी, उनमें भिंड कलेक्टर किरोड़ी लाल मीणा भी शामिल थे।
ओंकारेश्वर बंद का दिखा असर: ममलेश्वर लोक विवाद के कारण 2 किमी पैदल चले श्रद्धालु,बाजार-ऑटो-नावें बंद, क्या है पूरा मामला
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तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में सोमवार (17 नवंबर) का दिन पूरी तरह ठहरा हुआ नजर आया। ममलेश्वर लोक निर्माण के विरोध में नगरवासियों ने तीन दिवसीय ऐच्छिक बंद बुलाया था, जिसका पहला दिन ही बेहद प्रभावी रहा। शहर की सड़कें सुनसान रहीं, दुकानें बंद रहीं और बाजार का पूरा ढांचा ठप हो गया। दूर-दूर से दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को कई असुविधाओं का सामना करना पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।
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