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Guru Purnima 2025: बदलते जमाने के साथ बदलता जा रहा है टीचर और स्टूडेंट का रिश्ता, अब क्यों खत्म हो रहा इमोशनल कनेक्शन

Guru Purnima 2025: टीचर और स्टूडेंट के बीच इमोशनल कनेक्शन कमजोर होता जा रहा है। अब गुरू और शिष्य का रिश्ता पहले की तरह भावनात्मक क्यों नहीं रहा।

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Rahul Garhwal
Guru Purnima 2025 Teacher Student Relation Change emotional connection expert comment hindi news

हाइलाइट्स

  • गुरू-शिष्य के रिश्ते का दिन गुरू पूर्णिमा
  • बदल रहा है गुरू और शिष्य का रिश्ता
  • टीचर-स्टूडेंट के बीच खत्म हो रहा इमोशनल कनेक्शन
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Guru Purnima 2025 Teacher Student Relation Change: आज गुरू के पूजन का दिन गुरू पूर्णिमा है। ये दिन हर साल गुरू और शिष्य के पवित्र रिश्ते की याद दिलाता है। लेकिन बदलते दौर में ये रिश्ता पहले जैसा भावनात्मक नहीं रहा। क्या सिर्फ वक्त बदला है या फिर सोच में भी फर्क आ गया है। आधुनिक शिक्षा व्यवस्था, टेक्नोलॉजी और समाज में हुए बदलावों ने टीचर और स्टूडेंट के इमोशनल कनेक्शन को कमजोर कर दिया है।

गुरू और शिष्य के बीच खत्म हो रहा इमोशनल कनेक्शन

पहले गुरू को जीवन का मार्गदर्शक माना जाता था। वे सिर्फ किताबें नहीं पढ़ाते थे, बल्कि व्यवहार, नैतिकता और जीवन के मूल्य भी सिखाते थे। अपने शिष्य को बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते थे। वहीं आज के समय में शिक्षा कहीं न कहीं एक सिस्टम का हिस्सा बन गई है। कोचिंग, ऑनलाइन क्लास और टारगेट बेस्ड लर्निंग ने इस रिश्ते में इमोशन की जगह परफॉर्मेंस को दे दी है।

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टीचर-स्टूडेंट के बीच इमोशनल दूरी बढ़ने की वजह

डिजिटल लर्निंग का असर

ऑनलाइन एजुकेशन से क्लास रूम का व्यक्तिगत जुड़ाव कम हो गया है। कैमरे बंद, माइक म्यूट और चैट में सवालों तक सीमित बातचीत से इमोशनल बॉन्डिंग नहीं बन पा रही है।

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शिक्षा का बाजार

शिक्षा अब मार्केट का हिस्सा हो गई है। स्कूल-कॉलेज भी कॉम्पिटिशन और रिजल्ट की रेस में हैं। टीचर्स पर रिजल्ट का दबाव है और छात्रों पर करियर का दबाव है। ऐसे में संवाद और आत्मीयता के लिए वक्त ही नहीं मिल पा रहा है।

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टीचिंग बनी प्रोफेशन

पहले अध्यापन एक कार्य सेवा माना जाता था और अब ये प्रोफेशनल नौकरी बन चुकी है। शिक्षक भी बदलते रहते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स से इमोशनल कनेक्शन नहीं बन पाता है।

सोशल मीडिया का असर

पहले कोई भी सवाल स्टूडेंट्स टीचर से पूछते थे। अब स्टूडेंट्स सीधे इंटरनेट से जवाब मांगते हैं। सोशल मीडिया से भी गुरू का रोल धुंधला हो गया है।

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'अब गुरू और शिष्य के बीच व्यावसायिक आर्थिक संबंध'

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नर्मदापुरम के नर्मदा कॉलेज में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र ने कहा कि गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली भंग होते ही गुरू शिष्य के संबंधों की कोमल डोरी भी टूट गई। न गुरू को शिष्य के भविष्य की चिंता है और न शिष्य के मन में गुरू के प्रति सच्चा सम्मान।

टीचर और स्टूडेंट्स के बीच इमोशन कनेक्शन जरूरी

टेक्नोलॉजी ने दूरियां मिटा दी हैं, फिर भी भावनात्मक दूरियां क्यों बढ़ रही हैं। एक अच्छा टीचर वही होता है जो सिर्फ पढ़ाए नहीं, बल्कि समझे भी। वहीं एक अच्छा छात्र वो होता है जो सवालों के साथ-साथ भावनाओं को भी बांटे। गुरुकुल परंपरा भले ही अब न हो, लेकिन गुरू और शिष्य के बीच आत्मीयता की भावना आज भी जरूरी है।
शिक्षा सिर्फ जानकारी नहीं देती, बल्कि बेहतर इंसान बनाती है। ऐसे में दिल से दिल का रिश्ता होना बेहद जरूरी है।

ऐसे हो सकता है गुरू-शिष्य का जुड़ाव

1. टीचर अगर सिर्फ सिलेबस की नहीं, बल्कि जीवन की बातें भी करें तो स्टूडेंट्स से जुड़ाव बढ़ेगा।

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2. स्कूल और कॉलेजों में टीचर-स्टूडेंट इंटरैक्शन सेशन रेगुलर होने चाहिए।

3. डिजिटल शिक्षा में भी भावनात्मक संवाद को जगह मिलनी चाहिए।

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