बंसल न्यूज उज्जैन। Guru Purnima 2023: भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सबसे ऊपर माना गया है। गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ॥ के भावार्थ : गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु ही शंकर हैं; गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैं; उन सद्गुरु को प्रणाम। के भाव के साथ आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे गुरुकुल के बारे में जहां भगवान नारायण “श्री कृष्ण” ने 64 विधा और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया और विश्व का पालन किया।
श्री कृष्ण ने 3 गुरु मंत्र लिखकर दीक्षा ली
यह गुरुकुल विश्व का पहला गुरुकुल है, जहां मित्र सुदामा और बड़े भाई बलराम के साथ श्री कृष्ण ने 3 गुरु मंत्र लिखकर दीक्षा ली और ज्ञान प्राप्त किया। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरु सांदीपनी आश्रम की, जहां गुरु पूर्णिमा 2023 के अवसर पर महाआरती का आयोजन किया गया। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहे।
गुरु सांदीपनी से शिक्षा ग्रहण की
भगवान नरायण “श्री कृष्ण”, सुदामा व बलराम ने 3 गुरु मंत्र लिखकर महर्षि संदीपनी से शिक्षा ग्रहण की। यह परंपरा आज भी इस गुरुकुल में चली आ रही है। छोटे-छोटे बच्चे स्कूल में प्रवेश के लिए जाने के पहले महर्षि संदीपनी आश्रम पहुंचते हैं। यहां 3 गुरु मंत्र लिखकर अपनी शिक्षा प्रारंभ करते हैं।
गुरु सांदीपनी आश्रम का वीडियो देखें-
महर्षि संदीपनी आश्रम की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि महर्षि संदीपनी आश्रम में जिस प्रकार 3 गुरु मंत्र लिखकर भगवान नरायण “श्री कृष्ण” ने ज्ञान अर्जित किया और विश्व के पालनहार बने। ठीक इसी प्रकार महर्षि संदीपनी आश्रम में दीक्षा लेकर अपनी शिक्षा की शुरुआत करने वाले बच्चों का भविष्य भी उज्ज्वल होता है।
भगवान श्री कृष्ण की बैठक शिला मौजूद
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महर्षि संदीपनी आश्रम में भगवान श्री कृष्ण, सुदामा और बलराम की शिक्षा के दौरान की वह शिला भी मौजूद है जहां “श्री कृष्ण” बैठकर शिक्षा ग्रहण करते थे। इसके साथ ही आज भी वह कुंड स्थित है, जिसमें वे स्नान किया करते थे।
बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है
भगवान “श्री कृष्ण” की शिक्षा स्थली अंकपात मार्ग स्थित महर्षि संदीपनी आश्रम में गुरु सांदीपनी की प्रतिमा विराजित है। जहां गुरु पूर्णिमा 2023 के अवसर पर गुरु सांदीपनी का भव्य पूजन किया गया। इसके साथ ही द्वापर युग से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए छोटे-छोटे बच्चों को स्लेट पर गुरु मंत्र लिखवाया गया। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है।
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