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guru gochar 2025
Guru Gochar 2025 Kark Rashi Effect Mesh Dhanu Singh Kark: ग्रहों की दिन बदलती चाल सभी राशि के जातकों पर प्रभाव डालती हैं। इसी क्रम में अक्टूबर की शुरुआत में बड़ा फेरबदल हुआ है।
अभी तक मिथुन राशि में चल रहे गुरु ने बुधवार 1 अक्टूबर को अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश कर​ लिया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि ज्योतिषाचार्य पंडित से जानते हैं कि उच्च के गुरू किसके लिए शुभ रहेंगे साथ ही जानेंगे कि इससे किसे सतर्क रहना होगा।
लंबे समय के लिए उच्च के हुए गुरु
(Guru Gochar Kark 2025)
ज्योति​षाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार नवग्रहों में गुरु का विशेष महत्व होता है। 1 अक्टूबर को गुरु ने अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश कर लिया है। गुरु का ये गोचर सभी के लिए खास होगा। इतना नहीं 31 दिसंबर के बाद इसकी चाल फिर असर दिखाएगी। क्योंकि 31 दिसंबर तक इसी राशि में रहने के बाद गुरु अपनी वक्री चाल शुरू करेंगे।
क्या होती है वक्री चाल
(What is Vakri Chal)
जब भी कोई ग्रह सीधी चाल चलते चलते एक राशि पीछे खिसककर पहले वाली राशि में ही आ जाता है तो इसे वक्री चाल कहते हैं। किसी ग्रह की वक्री चाल सभी राशि के जातकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
इस दिन वक्री होंगे गुरु
1 अक्टूबर को गुरु कर्क राशि में वक्री चाल शुरू कर चुके हैं। जो 31 दिसंबर तक इसी राशि में रहेंगे। इसके बाद वक्री होकर फिर एक कदम पीछे वाली राशि यानी मिथुन में प्रवेश कर जाएंगे। जो इस दौरान कुछ राशि के जातकों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
उच्च के गुरु से ये रहें सतर्क
शुभ: धनु, मीन, कर्क राशि
अशुभ: मेष, सिंह
धनु राशि पर मिलाजुला असर
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ज्योतिषाचार्य के अनुसार कर्क राशि में गुरु के गोचर का धनु राशि पर मिलाजुला असर रहेगा। वो इसलिए क्योंकि कर्क में गुरु का गोचर धनु राशि पर आठवां रहेगा। लेकिन इसी के साथ ये राशि गुरु की स्व राशि है ऐसे में इस पर गोचर से आठवां होते हुए भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इन्हें होगा चौथा, आठवां, बारहवां
कर्क राशि में गुरु का गोचर कर्क राशि को चौथा, धनु राशि को आठवां और सिंह राशि वालों के लिए बारहवां रहेगा। ऐसे में इन तीन जातकों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
FaQ's
गुरु (बृहस्पति) की स्व राशि कौन सी है?
गुरु की स्व राशि धनु (Sagittarius) और मीन (Pisces) मानी जाती है। इन दोनों राशियों में गुरु स्वगृही होकर शुभ फल देता है।
गुरु की उच्च राशि कौन सी है?
गुरु की उच्च राशि कर्क (Cancer) होती है। यहाँ गुरु बहुत शक्तिशाली होकर श्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
गुरु की नीच राशि कौन सी है?
गुरु की नीच राशि मकर (Capricorn) मानी जाती है। इस राशि में गुरु कमजोर होकर अपेक्षित परिणाम नहीं देता।
कुंडली में कमजोर गुरु के संकेत
अगर जन्मकुंडली या गोचर में गुरु अशुभ या कमजोर हो तो ये लक्षण दिख सकते हैं:
शिक्षा में बाधाएँ, बार-बार असफलता
संतान सुख में कमी या संतान से दूरी
आर्थिक संकट या धन संचय में कठिनाई
आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता का अभाव
धार्मिकता व आस्था में कमी, गुरुजनों से मतभेद
मोटापा, लीवर, डायबिटीज या पाचन संबंधी समस्याएँ
गुरु को मजबूत करने के उपाय
कमजोर गुरु को बलवान बनाने के लिए ये आसान उपाय किए जाते हैं:
गुरुवार का व्रत रखें – इस दिन पीले वस्त्र पहनें और पीले चने या बेसन से बनी वस्तु खाएँ।
पीले वस्त्र और चना दान करें – गरीब या ब्राह्मण को पीला कपड़ा, हल्दी, चना, गुड़ आदि दान करना शुभ होता है।
गुरु मंत्र का जाप करें – “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
पीपल और केले के पेड़ की पूजा करें – विशेषकर गुरुवार को जल चढ़ाएँ।
हल्दी की माला धारण करें – या पुखराज (पीला पुखराज रत्न) योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह से धारण करें।
गुरुजनों और शिक्षकों का सम्मान करें – आशीर्वाद ग्रहण करना ही गुरु को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है
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