Gupt Navrati 2024: इस साल गुप्त नवरात्रि 2024 की शुरुआत 10 फरवरी से होने जा रही है। जो 18 फरवरी तक चलेंगी। यदि आप भी जीवन में आ रहे सभी तरह के कष्टों से मुक्ति पाकर सुख-समृद्धि चाहते हैं तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं दस महाविद्याओं के दस मंत्र। (10 Mahavidhyaen)
ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल पांडे (8959594400) के अनुसार हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। नवरात्रि दो तरह की होती हैं। पहले प्रकट नवरात्रि और दूसरी गुप्त नवरात्रि। गुप्त नवरात्रि प्रत्येक वर्ष माघ और आषाढ़ के महीने में आती हैं। माघ माह में पहले 9 दिनों में मां भगवती की उपासना की जाती है और इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
कौन-कौन सी हैं 10 महाविद्याएं (Gupt Navrati Dus Mahvidhyayen)
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं में माँ काली देवी, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
इस वर्ष पंचांग के अनुसार माघ माह की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी 2024 से प्रारंभ हो रही है और 18 फरवरी 2024 तक यह पर्व काल चलेगा।
गुप्त नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त (Gupt Navrati 2024 Ghat Sthapna Muhurat)
घटस्थापना शनिवार 10 फरवरी 2024 को सुबह 6 बजे से 11 बजे तक शुभ रहेगा। ये घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। बाकी समय भी मध्यम शुभ रहेगा।
गुप्त नवरात्रि- पूजा विधि (Gupt Navrati 2024 Puja Vidhi)
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए।
घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
गुप्त नवरात्रि के दौरान घट स्थापना उसी तरह की जाती है, जिस तरह से चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होती है।
गुप्त नवरात्रि का भोग (Gupt Navrati 2024 Bhog)
सुबह-शाम की पूजा में मां को लौंग और बताशे का भोग लगाना आवश्यक होता है। इसके बाद मां को श्रंगार का सामान जरूर अर्पित करें। सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। गुप्त नवरात्रि की पंचमी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है और इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। आप सभी को चाहिए कि दस महाविद्याओं की साधना करें, साथ मे दस देवियों के मंत्र का जाप करे या ब्राह्मणों से कराएं। गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है, ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे। माना जाता है, कि इस दौरान माँ शक्ति के खास मंत्रों के जाप से किसी भी समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।
गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्याएं, पूजा विधि और उनके मंत्र (Gupt Navrati 2024 Mantra)
प्रथम दिन, प्रथम महाविद्या (Gupt Navrati Day 1)
गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन माता काली की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां काली की उपासना करने से शत्रुओं का असर जीवन पर कम हो जाता है और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। साथ ही सभी प्रकार के भय और रोग से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
प्रथम महाविद्या का मंत्र
‘ॐ क्रीं कालिके स्वाहा।’ मंत्र इस दिन कम से कम 108 बार जाप जरूर करें।
दूसरा दिन, द्वितीय महाविद्या
दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर तारा माता की उपासना की जाती हैं। इन्हें तारिणी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दूसरी महाविद्या का मंत्र:
‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट।’ मंत्र का 1 माला जाप करें।
तीसरा दिन, तीसरी महाविद्या
तीसरे दिन मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा करने से भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह अपने भक्तों को सुंदरता, सौभाग्य और अन्य सांसारिक सुखों का आशीर्वाद भी देती हैं।
तीसरी महाविद्या का मंत्र
‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।’
चौथा दिन, चौथी महाविद्या
गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता की उपासना करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते ही पूरी कर देती हैं। उनकी पूजा नाम, प्रसिद्धि, वृद्धि और समृद्धि के लिए उनकी पूजा की जाती है।
चौथी महाविद्या का मंत्र
इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम:।’
पांचवां दिन, पांचवी महाविद्या
दस महाविद्वाओं में पांचवे स्थान पर माता भैरवी हैं। जिनकी उपासना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। माता भैरवी एक शत्रुओं की विनाशिनी है। इनकी उपासना करने से साधक को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता आदि की प्राप्ति होती है।
पांचवीं महाविद्या का मंत्र
‘ॐ ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
छठा दिन, छठवीं महाविद्या
गुप्त नवरात्रि पर्व के छठे दिन देवी छिन्नमस्ता की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। मान्यता है कि देवी की पूजा करने से आत्म-दया, भय से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता मिलती है। साथ शत्रुओं को परास्त करने, करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की और कुंडली जागरण के लिए मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है।
छठी महाविद्या का मंत्र
‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।’ मंत्र का जाप करें।
सातवां दिन, सातवीं महाविद्या
माता धूमावती की उपासना दस महाविद्वाओं में सातवें स्थान पर की जाती है। इन्हें मृत्यु की देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता धूमावती की उपासना करने से कई प्रकार के दुख व दुर्भाग्य से राहत मिलत है और ज्ञान, बुद्धि व सत्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ‘ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।’ मंत्र का जाप प्रभावशाली माना जाता है।
आठवां दिन, आठवीं महाविद्या
गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन माता बगलामुखी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती और उनसे सुरक्षा मिलती है। कहा यह भी जाता है कि देवी शत्रुओं को पंगु बना देती हैं।
आठवीं महाविद्या का मंत्र
”ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
नौवा दिन, नवमीं महाविद्या
दस महाविद्वाओं में नौवें स्थान पर माता मातंगी हैं। जिन्हें तांत्रिक सरस्वती’ के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन देवी की उपासना करने से साधक को गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है। ज्ञान में विकास होता है।
नवमीं महाविद्या का मंत्र
‘ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।’
दसवां दिन, दसवीं महाविद्या
गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना का विधान है। उन्हें ‘तांत्रिक लक्ष्मी’ की संज्ञा भी दी गई है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रहे सभी दुखों का नाश होता है।
दसवीं महाविद्या का मंत्र
‘ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः।’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।