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MP के इस जिले में पुलिस नहीं, दलाल लौटाते हैं चोरी के वाहन: सेटलमेंट की गारंटी देती है झेला प्रथा, जानें पूरी प्रोसेस

Guna News: MP के इस जिले में पुलिस नहीं, दलाल लौटाते हैं चोरी के वाहन: सेटलमेंट की गारंटी देती है झेला प्रथा, जानें पूरी प्रोसेस

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Preetam Manjhi
Guna-News

Guna News: मध्य प्रदेश के गुना जिले और उसके आसपास के इलाकों में वाहन चोरी के मामलों में एक नई प्रथा शुरू की गई है। इस प्रथा का नाम झेला रखा गया है।

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आपको बता दें कि गाड़ी के चोरी होने के बाद एक बिचौलिया यानी कि ‘दलाल’ गाड़ी मालिक से संपर्क करता है, जो कि चोर और मालिक के बीच सेटलमेंट कराकर रकम तय करता है।

तय रकम के मिलने के बाद गाड़ी उसके मालिक को वापस दे दी जाती है। बीते 2 महीनों के अंदर ऐसे कई वाहन मालिकों (Guna News) के पास पहुंचे हैं।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1825075201865847207

ये है पूरी प्रोसेस

- आपको बता दें कि वाहन चुराने से लेकर वापस लौटाने तक की पूरी प्रोसेस पर 3 तीन लेवल पर काम होता है।

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- पहला व्यक्ति रेकी करता है। गाड़ी मालिक, उसका नंबर, उसकी हैसियत के बारे में जानकारी जुटाकर चोर को देता है। इसके बाद वो अगली रेकी में लग जाता है।

- चोर वारदात को अंजाम देते हैं। इसके बाद बिचौलिए (दलाल) का काम शुरू होता है। वह रेकी करने वाले से मिली जानकारी के मुताबिक या खुद से गाड़ी मालिक से संपर्क करता है या किसी के जरिए भी सूचना पहुंचाता है।

- झेला यानी कि बिचौलिया (दलाल) मामले में पूरी डील कराता है। जो भी रकम तय होती है, उसे तीन हिस्सों में बांट लिया जाता है। गाड़ी की कंडीशन के हिसाब से रकम को तय किया जाता है।

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चलिए अब आपको सुनाते हैं, चोरी किए गए वाहनों को वापस छुड़ाने के किस्से....

पहला किस्सा- 90 हजार में छूटा ट्रैक्टर

तारीख 22 जुलाई 2024 को सकतपुर गांव (Guna News) के पास से एक किसान का ट्रैक्टर चोरी हो जाता है। ट्रैक्टर 5 साल पुराना होता है। किसान अपने ट्रैक्टर के चोरी होने के बाद उसकी शिकायत थाने जाकर लिखवाता है।

किसान से पुलिस कहती है कि आफ कुछ दिनों तक अपने स्तर पर ट्रैक्टर की तलाश करो। अगर नहीं मिलता है, तो FIR दर्ज कर लेंगे।

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उसी के अगले दिन यानी कि 23 जुलाई 2024 को किसान के पास एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आता है और बोलता है कि ट्रैक्टर कहां है, उसे पता है और वो वापस भी दिलवा सकता है। इसके एवज में किसान को कुछ पैसे देने होंगे। बस इस बारे में पुलिस के कानों में खबर नहीं लगनी चाहिए।

बिचौलिया (दलाल) पहले 2 लाख रुपए मांगता है। किसान को पैसे ज्यादा लगते हैं, तो वो दलाल से पैसे कम करने को कहता है। आखिरी में टूटते-टाटते बात 90 हजार पर बन जाती है।

इसके बाद किसान पैसों का इंतजाम करता है और दलाल को बताता है। दलाल उसे सिंघाडी गांव के पास मिलने को कहता है। किसान पैसे लेकर वहां पहुंचा, तो दलाल उससे पैसे ले लेता है और उसे बोलता है कि गांव से ही कुछ दूर उसका ट्रैक्टर FDDI संस्थान के पीछे छोटे नाले में खड़ा है। किसान बताई गई जगह पर पहुंचता है और अपना ट्रैक्टर ले आता है।

दूसरा किस्सा- 20 हजार में वापस मिली बाईक

शहर में रह रहे एक सुनार की बाइक अचानक चोरी हो जाती है। सुनार अपनी बाइक चोरी होने की शिकायत कोतवाली में जाकर दर्ज करवाता है।

इसी बीच उसे झेला (दलाल) किसी के जरिए जानकारी भिजवाता है कि उसकी बाइक मधुसूदनगढ़ में है। वह बाइक के बदले में 20 हजार रुपए मांग रहा है। तुम अपने वाले हो इसलिए ये जानकारी आपको बता दी। बाकी तुम अपने हिसाब से देख लो।

इतना ही नहीं जानकारी देने वाला सुनार को विश्वास दिलाने के लिए बाइक के फोटो भी दिखाता है। साथ ही कहता है कि तुम पुलिस के चक्कर में मत पड़ना, नहीं तो बाइक नहीं मिलेगी।

उन लोगों का तो रोज का काम है। बाइक मालिक सुनार 20 रुपए ले जाता है और देकर अपनी बाइक वापस लाता है। बाद में कहानी ये बनती है कि कोई अनजान व्यक्ति बाइक को ले गया था, जो कि वापस छोड़ के चला गया।

तीसरा किस्सा- पुलिस वाले को भी देने पड़े पैसे

मामला झागर क्षेत्र का है। यहां एक पारदी बदमाश गुना से बाइक को चुरा ले जाता है। दलाल बाइक के फोटो वॉट्सऐप के जरिए बाइक मालिके बेटे को भिजवाता है।

इसके बाद बाइक के बदले में 20 हजार की डिमांड होती है। आके क्या हुआ, पता नहीं। हालांकि बाइक किसी पुलिस वाले की थी। उसे कैसे वापस मिली ये बात बताने से उसने इनकार कर दिया।

मामले में पुलिस को नहीं है जानकारी

एसपी संजीव कुमार सिन्हा के मुताबिक, फिलहाल मामला संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसी कोई एक्टिविटी चल रही है, तो उसकी जांच करवाएंगे। थाना प्रभारियों को स्पष्ट तौर पर निर्देश दिए हैं कि अगर कहीं वाहन चोरी हो जाए तो उसकी तत्काल शिकायत लिखकर उसे जल्द से जल्द रिकवर किया जाए।

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