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हाइलाइट्स
- पुलिस कस्टडी में हुई देवा की मौत केस में अपडेट।
- फरार थाना प्रभारी संजीत मावई ने किया आत्मसमर्पण।
- बदरवास थाने पहुंची CBI टीम, मावई को ले गया इंदौर।
Guna Deva Pardi Custodial Death Case TI Sanjeet Mawai Surrender Update: गुना जिले में चर्चित देवा पारदी की पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। इस मामले में लंबे समय से फरार चल रहे तत्कालीन थाना प्रभारी संजीत मावई ने आखिरकार आत्मसमर्पण कर दिया है। रविवार शाम वह शिवपुरी जिले के बदरवास थाने पहुंचे और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। रविवार देर रात सीबीआई की टीम ने टीआई संजीत मावई को गिरफ्तार करके इंदौर ले गई।
बता दें कि सितंबर में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फरार आरोपी पुलिसकर्मियों को 8 अक्टूबर तक गिरफ्तार करने के सख्त निर्देश दिए थे। इस मामले में फरार आरोपी एसआई उत्तम सिंह की गिरफ्तारी पहले हो चुकी है। FIR के बाद दोनों पुलिसकर्मी फरार हो गए थे। जिनकी तलाश लगातार हो रही थी।
SC ने दिया था 8 अक्टूबर तक का समय
दरअसल, मध्यप्रदेश के गुना में पुलिस कस्टडी में देवा पारदी नाम के युवक की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस केस में 26 सितंबर (शुक्रवार) को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि राज्य सरकार और सीबीआई के पास तमाम संसाधन होने के बावजूद अब तक दो फरार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका, जो न्यायालय की अवमानना के समान है।”
कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ CBI को अंतिम मौका देते हुए 8 अक्टूबर तक का समय दिया था। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि इस समय सीमा तक आरोपी पुलिस अधिकारी गिरफ्तार नहीं होते हैं, तो राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव और CBI के जांच अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा।
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जानें देवा की मौत का मामला
बता दें कि गुना के बीलाखेड़ी निवासी 25 वर्षीय देवा पारदी की 15 जुलाई 2024 को शादी होने वाली थी। एक दिन पहले, 14 जुलाई की शाम उसकी बारात निकलने से पहले पुलिस उसे और चाचा गंगाराम को चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए थाने लेकर गई थी। उसी शाम परिवार को सूचना मिली कि देवा की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है। घटना के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया। आक्रोशित लोगों ने जिला अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
बड़ी संख्या में पारदी समुदाय की महिलाएं जिला अस्पताल पहुंचीं। जहां भारी हंगामा हुआ। लोगों को कहना था कि देवा की मौत सामान्य नहीं थी, बल्कि पुलिस हिरासत में हुई प्रताड़ना का नतीजा थी।
इस दौरान देवा की चाची और उसकी होने वाली दुल्हन ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की थी। वहां मौजूद पुलिस टीम ने उन्हें बचाया था। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि म्याना थाने में देवा और उसके चाचा को बेरहमी से पीटा गया था। चाचा गंगाराम की गवाही भी इसी ओर इशारा करती है। देवा की मौत को उन्होंने पुलिस की बर्बरता और गैरकानूनी व्यवहार का नतीजा बताया।
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भारी हंगामे के बाद हुई पुलिसकर्मियों पर FIR
परिजनों और महिलाओं ने आरोप लगाया कि म्याना थाने में पुलिस ने देवा पारदी और उसके चाचा के साथ बेरहमी से मारपीट की, जिससे देवा की मौत हो गई। घटना के विरोध में 17 जुलाई को बड़ी संख्या में पारदी समुदाय की महिलाएं कलेक्ट्रेट पहुंचीं और आक्रोश जताते हुए प्रदर्शन किया। कई महिलाओं ने अपने वस्त्र तक उतार दिए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए म्याना थाने के 7-8 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और मारपीट की धाराओं में FIR दर्ज की गई। देवा की मां अंसुरा बाई ने न्याय की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
मामले में मजिस्ट्रियल जांच और केस दर्ज
देवा पारदी की मौत की जांच के लिए प्रशासन ने मजिस्ट्रियल जांच कराई। जांच के दौरान शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से मृतक की हिस्टोपैथोलॉजिकल रिपोर्ट और FSL ग्वालियर से विसरा रिपोर्ट मंगाई गई। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि देवा की मौत पुलिस कस्टडी में मारपीट और प्रताड़ना के चलते संदिग्ध और असामान्य परिस्थितियों में हुई।
इस निष्कर्ष के बाद 5 सितंबर को म्याना थाने में एफआईआर दर्ज की गई। हालांकि, एफआईआर में पुलिसकर्मियों के नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखे गए थे। सिर्फ तीन फूल TI और "अन्य 7-8 पुलिसकर्मी" लिखा गया। इससे एक दिन पहले, 4 सितंबर को म्याना थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी संजीत मावई, SI देवराज सिंह परिहार और उमरी चौकी प्रभारी SI उत्तम सिंह कुशवाह को लाइन अटैच कर दिया गया था। जांच के बाद TI संजीत मावई और SI उत्तम सिंह को आरोपी बनाया गया, जिसके बाद दोनों फरार हो गए। इसकेस में CBI भी उन्हें गिरफ्तार करने में असफल रही है।
कोर्ट ने लगाई CBI और राज्य सरकार को फटकार
इस केस ने बवाल मचा तो सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया। देवा पारदी की मां हंसुरा बाई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की। 15 मई को कोर्ट ने CBI को एक महीने में गिरफ्तारी के निर्देश दिए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद अवमानना याचिका दाखिल की गई।
24 से 26 सितंबर तक हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने CBI और राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा — "आप लाचारी का बहाना बना रहे हैं। फरार अफसरों को पकड़ने में नाकामी, अदालत की अवमानना है। यह बर्दाश्त नहीं होगा। कोई आदेश नहीं था कि सिर्फ CBI ही गिरफ्तार कर सकती है।"
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टीआई संजीत मावई गिरफ्तार, इंदौर ले गई सीबीआई
26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के लिए 8 अक्टूबर तक का वक्त दिया था। अगले ही दिन SI उत्तम सिंह पकड़ा गया, जबकि TI संजीत मावई फरार था। अब रविवार शाम मावई ने शिवपुरी के बदरवास थाने में सरेंडर किया। इसके बाद CBI और गुना पुलिस को सूचना दी गई। रविवार की रात CBI की टीम बदरवास थाना पहुंची और संजीत मावई को हिरासत में ले लिया है। फिलहाल संजीत मावई को इंदौर ले जाया गया है।
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