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गुजरात। Gujarat Assembly Election 2022 आने वाले दिनों मे जहां पर विधानसभा चुनाव होने वाला है वहीं पर गुजरात में 182 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा औऱ कांग्रेस ही नहीं आप पार्टी भी दमखम दिखा रहे है। यहां पर चुनाव की सीटों पर आदिवासी समाज का आंकड़ा कैसा होता है और इन्हे साधने के लिए राजनीतिक पार्टियां क्या रवैया अपनाती है।
जानें सीटों पर क्या है कैटेगरी
आपको बताते चलें कि, गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 142 सीटें जनरल कैटेगरी की हैं और 13 सीटें एससी और 27 सीटें एसटी कैटेगरी के लिए आरक्षित हैं, यानी की गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 27 सीटें आदिवासी समाज के लिए होती है। यहां पर बात करें तो, आदिवासी जनता के लिए सीट पर किस तरीके से राजनैतिक पार्टियां लुभा पाती है और ये सीटें कितना महत्व रखती है।
2017 में कैसा रहा चुनावी समीकरण
आपको बताते चलें कि, इस साल के चुनावी समीकरण से पहले अगर साल 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में बीजेपी ने कुल 99 सीटों पर जीत हासिल करते हुए राज्य में छठी बार अपनी सरकार बनाई थी और कांग्रेस के खाते में 77 सीटें आई थी. इसके अलावा 6 सीटें अन्य के खाते में गई थी। भाजपा जहां पर गुजरात में कई सालों से छाई हुई है वहीं पर ऐसे में कांग्रेस और आप को इसे साधने में चुनौती का सामना करना पड़ता है। आदिवासी तबके को साधने में बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इस आदिवासी इलाकों में पिछले कुछ सालों में अपनी पकड़ मजबूत की है।
कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है आदिवासी सीट
आपको बताते चलें कि, बात करें तो, कांग्रेस का पहला प्रचार और साधने का काम आदिवासी सीट पर होता है जहां पर यह सीटें हमेशा से कांग्रेस का गढ़ मानी गई हैं. लेकिन पिछली बार बीजेपी ने यहां काफी हद तक अपना दबदबा कायम किया था. और हमेशा से आदिवासी विधानसभा सीटों में सबसे महत्वपूर्ण सीट रही छोटा उदयपुर सीट रही है, जहां से विधायक मोहन सिंह राठवा 10 बार विधायक रह चुके हैं। आपको बताते चलें कि, गुजरात में 10 ऐसे जिले हैं जहां आदिवासी समुदाय की आबादी सबसे अधिक है. जिसमें डांग में 95 फीसदी, तापी 84 फीसदी, नर्मदा में 82 फीसदी, दाहोद में 74 फीसदी, वलसाड में 53 फीसदी, नवसारी में 48 फीसदी, भरुच में 31 फीसदी, पंचमहाल में 30 फीसदी, वडोदरा में 28 फीसदी और सबारकांठा में 22 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं।
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