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GST on Indian EV Market: भारत में महंगी होंगी इलेक्ट्रिक कारें? क्या GST की मार से बच पाएंगी टेस्ला - मर्सिडीज कारें

GST on Indian EV Market: भारत में महंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर अब ज्यादा GST लगने की संभावना है। इस नए टैक्स प्रस्ताव से टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है, जबकि घरेलू कंपनियों पर असर सीमित रहेगा।

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Shaurya Verma
GST Council Meeting on Indian EV Market electric vehicle tax mahindra tesla mercedes mahindra zxc

हाइलाइट्स

  • महंगी EV पर GST बढ़ने का प्रस्ताव।
  • टेस्ला जैसी कंपनियों पर होगा बड़ा असर।
  • GST काउंसिल 3-4 सितंबर को लेगी फैसला।
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GST on Indian EV Market: भारत का इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मार्केट अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है। घरेलू कंपनियों के दबदबे वाले इस बाजार में अब विदेशी लग्जरी कार निर्माताओं के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। एक टैक्स पैनल ने ₹40 लाख से अधिक कीमत वाली महंगी इलेक्ट्रिक कारों पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) बढ़ाने का सुझाव दिया है, जिससे लग्जरी ईवी सेगमेंट में बड़ा बदलाव आ सकता है। 

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टैक्स पैनल की अहम सिफारिशें

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैक्स पैनल ने दो अलग-अलग GST दरों का प्रस्ताव दिया है।

कीमत रेंजमौजूदा GSTप्रस्तावित GSTसंभावित कीमत में बढ़ोतरी
₹40 लाख से कम5%18%₹7.20 लाख तक
₹40 लाख से ज़्यादा5%28%₹14 लाख तक
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घरेलू और विदेशी कंपनियों पर असर 

[caption id="" align="alignnone" width="1200"]publive-image विदेशी कपंनियों पर भी पड़ सकता है असर[/caption]

इस नए टैक्स का सबसे बड़ा असर विदेशी कंपनियों पर देखने को मिल सकता है। टेस्ला, मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू (BMW) और बीवाईडी (BYD) जैसी कंपनियां भारत में महंगी इलेक्ट्रिक कारें बेचती हैं। टेस्ला ने हाल ही में भारत में अपनी Model Y लॉन्च की है जिसकी शुरुआती कीमत ₹59.89 लाख है। 

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अगर GST बढ़ता है, तो इसकी कीमत में भारी बढ़ोतरी होगी। दूसरी ओर, टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियों पर असर सीमित होगा, क्योंकि उनकी अधिकांश ईवी ₹20 लाख से कम कीमत वाली रेंज में आती हैं। 

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भारतीय निर्मित इलेक्ट्रिक कारों की नई लागत 

[caption id="" align="alignnone" width="1280"]publive-image टाटा मोटर्स की इलेक्ट्रिक कारें[/caption]

अगर यह टैक्स प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो टाटा मोटर्स (Tata Motors) और महिंद्रा (Mahindra) जैसे घरेलू ब्रांड्स की गाड़ियों की कीमत में भी वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि टाटा नेक्सॉन ईवी या महिंद्रा एक्सयूवी400 जैसी किसी कार की एक्स-शोरूम कीमत ₹15 लाख है। वर्तमान में इस पर 5% GST के हिसाब से ₹75,000 का टैक्स लगता है, जिससे इसकी कुल कीमत ₹15,75,000 होती है। नए प्रस्ताव के तहत, 18% GST लगने पर टैक्स की राशि ₹2,70,000 हो जाएगी, जिससे कुल कीमत बढ़कर ₹17,70,000 हो जाएगी।

GST काउंसिल की बैठक और मार्केट की प्रतिक्रिया 

[caption id="" align="alignnone" width="1038"]publive-image इलेक्ट्रिक कारों की चर्चा भी हो सकती है GST काउंसिल की बैठक में[/caption]

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यह प्रस्ताव GST काउंसिल की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करती हैं और जिसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। 3 और 4 सितंबर को होने वाली इस बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। इस फैसले का भारत का ईवी मार्केट पर सीधा असर होगा।

भारत में ईवी मार्केट की वर्तमान स्थिति

अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच भारत में कुल बिकने वाली कारों में इलेक्ट्रिक वाहन की हिस्सेदारी सिर्फ 5% थी। हालांकि, इसी दौरान ईवी सेल्स में 93% की जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई, जो 15,500 यूनिट्स तक पहुंच गई। पैनल का मानना है कि 5% की कम टैक्स दर का मकसद इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देना था, लेकिन अब महंगी गाड़ियों पर अलग से टैक्स लगाना भी जरूरी है।

मार्केट शेयर और टेस्ला की चुनौती

जुलाई 2025 तक, टाटा मोटर्स 40% की हिस्सेदारी के साथ भारतीय ईवी मार्केट में सबसे आगे थी।

कंपनीमार्केट शेयर
टाटा मोटर्स40%
महिंद्रा18%
BYD3%
मर्सिडीज-बेंज + BMW2%

टेस्ला ने हाल ही में भारत में दो नए शोरूम खोले हैं और बुकिंग शुरू कर दी है, लेकिन अभी डिलीवरी शुरू नहीं की है। एलन मस्क लंबे समय से भारत में आयातित कारों पर 100% तक के उच्च शुल्क की आलोचना करते रहे हैं। अगर लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर जीएसटी भी बढ़ाया जाता है, तो टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में कदम जमाना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।   

FAQ's 

1. इलेक्ट्रिक कारों पर GST बढ़ाने का क्या प्रस्ताव है, और यह मौजूदा दरों से कैसे अलग है?

टैक्स पैनल ने इलेक्ट्रिक कारों के लिए दो अलग-अलग GST दरों का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में, सभी इलेक्ट्रिक कारों पर 5% की एकसमान GST दर लागू है। नए प्रस्ताव के तहत, ₹40 लाख से कम कीमत वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर GST को बढ़ाकर 18% करने का सुझाव दिया गया है। वहीं, ₹40 लाख से अधिक कीमत वाली लग्जरी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर GST 28% करने की सिफारिश की गई है।

2. इस नए टैक्स से भारतीय कंपनियों द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पर क्या असर पड़ेगा? '

अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो भारतीय कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें भी बढ़ेंगी। उदाहरण के लिए, एक ₹15 लाख की इलेक्ट्रिक कार जिस पर पहले 5% GST (₹75,000) लगता था, उसकी कुल कीमत ₹15,75,000 होती थी। नए 18% GST के प्रस्ताव के बाद, उसी कार पर ₹2,70,000 का टैक्स लगेगा, जिससे उसकी कुल कीमत बढ़कर ₹17,70,000 हो जाएगी।

3. इस नए GST प्रस्ताव से किन कंपनियों को सबसे ज़्यादा नुकसान होगा?

इस नए टैक्स का सबसे बड़ा असर टेस्ला, मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू और BYD जैसी विदेशी कंपनियों पर पड़ेगा, जो भारत में ज़्यादातर ₹40 लाख से अधिक कीमत वाली लग्जरी इलेक्ट्रिक कारें बेचती हैं। टेस्ला की Model Y, जिसकी कीमत ₹59.89 लाख है, पर 28% GST लागू होने से उसकी कीमत में भारी वृद्धि होगी। घरेलू कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा पर असर सीमित होगा, क्योंकि उनकी अधिकांश गाड़ियां ₹20 लाख से कम कीमत वाली रेंज में आती हैं।

4. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का वर्तमान मार्केट शेयर कितना है और कौन सी कंपनियां इस बाज़ार में सबसे आगे हैं?

अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच, भारत में बिकने वाली कुल कारों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी केवल 5% थी। हालांकि, इसी अवधि में ईवी की बिक्री में 93% की जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई, जो 15,500 यूनिट्स तक पहुंच गई। मार्केट शेयर की बात करें तो, जुलाई 2025 तक टाटा मोटर्स 40% हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे थी, उसके बाद महिंद्रा 18% के साथ दूसरे स्थान पर थी। BYD के पास 3% और मर्सिडीज-बेंज व बीएमडब्ल्यू की संयुक्त हिस्सेदारी 2% थी।

5. सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के बावजूद टैक्स बढ़ाने पर विचार क्यों कर रही है?

टैक्स पैनल का मानना है कि 5% की कम GST दर का मकसद शुरुआती दौर में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देना था। अब जब बाजार तेजी से बढ़ रहा है और लग्जरी सेगमेंट में महंगी गाड़ियां आ रही हैं, तो इन पर अलग से टैक्स लगाना जरूरी हो गया है। यह कदम बाजार में संतुलन बनाने और महंगी कारों से राजस्व जुटाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। 

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