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भोपाल: एक बार फिर राजधानी में मानव अंग ( Human organ ) को अस्पताल से सुरक्षित और त्वरित एयरपोर्ट तक पहुंचाने के लिए अलग - अलग रूट पर दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।
पहला ग्रीन कॉरिडोर बंसल हॉस्पिटल ( Bansal Hospital ) से एयरपोर्ट तक करीब 20 किलोमीटर तक का बनाया गया। जिसमें आर्गन पहुंचाने में करीब 18 मिनिट का वक्त लगा। दूसरा ग्रीन कॉरिडोर (Green corridor ) बंसल हॉस्पिटल से सिद्धांता हॉस्पिटल तक बनाया गया। जिसमें आर्गन पहुंचाने में करीब 7 मिनिट का समय लगा। दोनों ही ग्रीन कॉरिडोर की मद्द से लीवर और किड्नी एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाया गया। डोनर का लिवर दिल्ली के मरीज को भेजा गया जिसके लिए शाम 7.20 मिनट पर बंसल हॉस्पिटल से कोलार तिराहा तक बनाया, जो कि मैनिट, माता मंदिर, रोशनपुरा, पॉलिटेक्निक, VIP रोड होते हुए एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया।
ग्रीन कॉरिडोर को सफल बनाने के लिए करीब 110 पुलिसकर्मी की मदद ली गई। बता दें बंसल हॉस्पिटल की लगातार ऑर्नग डोनेशन के लिए प्रेरित कर रहा है। यही कारण है कि कोलार की रहने वाली एक 54 वर्षीय महिला ने अपना लीवर और दो किड्नी डोनेट की।
क्या है ग्रीन कॉरीडोर ( Green Corridor )
ग्रीन कॉरीडोर ऐसा कॉरीडोर है जिसमें हार्ट, किडनी, लिवर, अन्य अंग या मरीज को ले जा रही एंबुलेंस के लिए रास्ता खाली कराया जाता है। इसमें दूसरे वाहन नहीं होते। सिर्फ एंबुलेंस ही अपनी पूरी रफ्तार से चलती है। ताकि समय से पहले अंग प्रत्यारोपण के लिए पहुंच सके। कॉरीडोर में एंबुलेंस के आगे-आगे ट्रैफिक पुलिस का वाहन चलता है। ये अंग हवाई जहाज से भेजे जाने हों तो एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी सूचना दी जाती है।
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