नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि वो जल्द ही पूरे देश से टोल प्लाजा को खत्म कर देगी। टोल प्लाजा के बजाय देशभर में जीपीएस आधारित टोल सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय उद्योग परिसंघ के कार्यक्रम में बताया कि सरकार 3 महीने के भीतर जीपीएस आधारित ट्रैकिंग टोल सिस्टम के लिए नए पॉलिसी को पेश कर देगी। ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर ये GPS आधारित टोल सिस्टम है क्या और ये कैसे काम करेगा?
सिस्टम ऑटोमैटिकली टैक्स वसूल लेगा
आसान भाषा में अगर इस व्यवस्था को समझें तो जब आप अपना वाहन लेकर टोल टैक्स वाली सड़क पर जाएंगे तो ये जीपीएस आधारित टोल सिस्टम ऑटोमैटिकली टोल टैक्स वसूल लेगा। हालांकि इस समय देश में जीपीएस आधारित टोल टैक्स वसूली की कोई टेक्नोलॉजी नहीं है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि सरकार ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार करने के लिए लगातार काम कर रही है। सरकार ने मार्च 2021 में ही एलान किया था कि वो जल्द ही पूरे देश से टोल बूथ को खत्म कर देगी और एक साल के अंदर जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा।
रूस ने बनाया है इस सिस्टम को
नए सिस्टम में टोल की रकम गाड़ियों पर लगी जीपीएस इमेजिंग के हिसाब से वसूली जाएगी। इस सिस्टम को रूसी वैज्ञानिकों ने बनाया है। आप की गाड़ी जितनी दूर चलेगी उसके मुताबिक अकाउंट या ई-वॉलेट से टोल टैक्स कट जाएगा। गौरतलब है कि इस वक्त देश में फास्टैग वाला इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम लागू है। इस सिस्टम में भी टोल बूथ की जरूरत पड़ती है। क्योंकि यहां फास्टैग का स्कैनर लगा होता है।
सरकार ने फास्टैग को अनिवार्य किया था
लेकिन सरकार की योजना है कि अब इस बूथ को भी 3 महीने के भीतर खत्म कर दिया जाए। ताकि हाईवे पर एक बार जाने के बाद चालक आसानी से अपने गंतव्य की ओर जा सके। बता दें कि पहले लोगों को टोल बूथ पर नकद में टैक्स देना पड़ता था। ऐसे में उन्हें काफी परेशानी होती थी। लोग लंबी कतारों में खड़े होकर टोल टैक्स देते थे। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने इस साल से टोल टैक्स के भुगतान के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया है। वहीं अब सरकार टोल बूथ को खत्म करने की भी तैयारी कर रही है।