नई दिल्ली। केंद्र सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को लिए दिए जाने वाले आरक्षण यानी EWS कोटा के मानदंडों की समीक्षा करेगी। इसके लिए सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी का प्रमुख पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय को बनाया गया है। कमेटी अपनी सिफारिशें सरकार को तीन हफ्तों के भीतर सौंपेगी। बतादें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह आरक्षण के मानदंडों की समीक्षा करेगी। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
यहां से उठा पूरा मामला
दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मेडिकल की स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में इस वर्ष दाखिले से संबंधित ‘नीट-पीजी’ में ऑल इंडिया कोटे के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अभ्यर्थियों के लिए 8 लाख रूपए की आय संबंधी मानदंड पर फिर से विचार करेगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए SC से चार हफ्ते की मोहलत मांगी थी। साथ ही उन्होंने कोर्ट में कहा था कि जब तक आरक्षण के मानदंडों की समीक्षा नहीं की जाती, तब तक नीट की ऑल इंडिया कोटा में काउंसलिंग भी नहीं कराई जाएगी।
कोर्ट ने EWS कोटे को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे
मेडिकल में EWS कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए थे और सरकार से जवाब-तलब करते हुए पूछा था कि सरकार ने किस आधार पर आठ लाख रूपये की सालाना आय की ये सीमा तय की है। कोर्ट ने कहा था कि आखिर इसके आधार पर कोई सामाजिक, क्षेत्रीय या कोई और सर्वे या डेटा तो सरकार ने जुटाया होगा? अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में जो लोग आठ लाख रुपये सालाना से कम आय वर्ग में हैं वो तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े माने जाते हैं लेकिन संवैधानिक योजनाओं में ओबीसी को सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जाता। कोर्ट ने कहा कि ये नीतिगत मामले हैं जिनमें अदालत पड़ना नहीं चाहती।
OBC और EWS श्रेणियों के लिए समान पैमाना कैसे?
कोर्ट ने स्वास्थ्य समेत कई मंत्रालयों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि उसे बताना होगा कि ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए NEET एग्जाम में अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण के क्या मानदंड है ? ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर के लिए 8 लाख रुपये मानदंड है, OBC और EWS श्रेणियों के लिए समान पैमाना कैसे अपनाया जा सकता है। जबकि ईडब्ल्यूएस में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है।
EWS सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं – कोर्ट
कोर्ट ने कहा था, सरकार के पास कुछ जनसांख्यिकी या सामाजिक या सामाजिक-आर्थिक आंकड़ा होना चाहिए। आठ लाख रुपये की सीमा लागू करके आप असमान को समान बना रहे हैं। OBC में, 8 लाख से कम आय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के शिकार हैं। संवैधानिक योजना के तहत, EWS सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं हैं। पीठ ने एक समय तो यह भी कह दिया था कि वो ईडब्ल्यूएस आरक्षण की अधिसूचना पर रोक लगा देगा।
क्या आठ लाख की सीमा को कम करेगी सरकार?
जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सरकार आठ लाख रुपये की सीमा को कम कर सकती है। हालांकि, सरकार ने अभी समिति का गठन किया है और समिति इस आधार को सही ठहराने के लिए सरकार को कुछ और उपाय भी सुझा सकती है।