बदायूं। जमीन विवाद में राज्यपाल को समन भेजकर कोर्ट में पेश होने का आदेश देने वाले बदायूं के एसडीएम को शासन ने निलंबित कर दिया है। वहीं, राजभवन के लिए समन का आदेश जारी करने वाले पेशकार पर भी गाज गिरी है। बता दें कि समन प्रकरण में राजभवन की ओर से घोर आपत्ति जताई गई थी, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।
इसके बाद राज्यपाल को समन भेजने के मामले में शासन ने निलंबित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश शासन ने बदायूं सदर तहसील के एसडीएम न्यायिक को और जिलाधिकारी ने इसी कोर्ट के पेशकार को सस्पेंड कर दिया। बता दें कि बुधवार की दोपहर आदेश आते ही शासन के अफसरों में खलबली मच गई थी।
बदायूं सदर तहसील के एसडीएम न्यायिक कोर्ट ने विधि व्यवस्थाओं को नजर अंदाज करते हुए सात अक्तूबर को बदायूं में लोड़ा बहेडी गांव के समीप बाईपास पर अधिग्रहित की जमीन पर दायर किये वाद पर पीडब्ल्यूडी की जगह राज्यपाल के नाम समन जारी किया था। इसमें राज्यपाल को राजस्व संहिता की धारा 144 के तहत उनकी कोर्ट में 18 अक्तूबर को तलब होने का आदेश दिया था।
समन 10 अक्तूबर को राजभवन पहुंचा। जिसके बाद राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के विशेष सचिव ब्रदीनाथ सिंह 16 अक्तूबर को डीएम बदायूं को पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 361 का पूर्णतया उल्लंघन मानते हुए इस पर घोर आपत्ति जताई थी। इस मामले में हस्तक्षेप कर याचिका में विधि अनुसार पक्ष रखने व नोटिस जारी करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के को कहा था।
यह मामला देश भर में छाया रहा। इस मामले में डीएम मनोज कुमार ने एसडीएम न्यायिक को चेतावनी जारी की थी और जांच के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी, जिसके बाद बुधवार दोपहर को शासन ने एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार को निलंबित कर दिया। इधर, डीएम ने इसी कोर्ट के पेशकार बदन सिंह को अपने स्तर से निलंबत कर दिया। राज्यपाल को समन भेजे जाने के मामले में सदर कोर्ट के एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार के निलंबन का शासन से आदेश प्राप्त हो गया है। इसी कोर्ट के पेशकार को मेरे द्वारा निलंबत कर दिया गया है।
क्या था पूरा मामला ?
दरअसल, एक सरकारी परियोजना में अधिग्रहीत भूमि की लिखापढ़ी राज्यपाल के नाम हुई थी। 18 अक्टूबर को एसडीएम की ओर से सभी को समन जारी कर कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया। यह समन राजभवन तक पहुंचा तो राज्यपाल के विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने डीएम मनोज कुमार को पत्र लिखा। समन को घोर आपत्तिजनक बताते हुए नियमानुसार कार्रवाई के आदेश दिए थे।
राज्यपाल को समन से खलबली
बदायूं के एक एसडीएम द्वारा राज्यपाल को समन दे दिया गया। महामहिम के नाम नोटिस जारी कर 18 अक्टूबर को एसडीएम कोर्ट में अपना पक्ष रखने को हाजिर होने का आदेश दिया था। राज्यपाल प्रदेश का मुखिया होता है और उसको सारे अधिकार संविधान में दिए गए हैं, मगर फिर भी एसडीएम की इस कारपूत के चलते प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर राज्यपाल को क्यों नोटिस दिया गया?
एसडीएम सदर की न्यायिक कोर्ट ने विधि व्यवस्थाओं को भी नजरअंदाज कर दिया गया, इसके चलते राज्यपाल के विशेष सचिव ने चेतावनी जारी की है और भविष्य में ऐसा न हो।