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Govt Employees News: यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर सवाल उठा रहे सरकारी कर्मचारी, UPS में सुधार के लिए पीएम मोदी से की 5 डिमांड

Govt Employees News: यूनिफाइड पेंशन स्कीम पर सरकारी कर्मचारी सवाल उठा रहे हैं। UPS में सुधार के लिए पीएम मोदी से 5 मांगें की हैं।

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Rahul Garhwal
Government employees raising questions on Unified Pension Scheme Demand from PM Modi Govt Employees News

Govt Employees News: नई पेंशन योजना 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' (UPS) पर सरकारी कर्मचारी सवाल खड़े कर रहे हैं। ज्यादातर संगठनों ने UPS का विरोध किया है। वे लगातार ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। 25 अगस्त को केंद्रीय कैबिनेट ने UPS को मंजूरी दी थी। अब नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है।

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पत्र में UPS में कई सुधारों की मांग

डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने पीएम को लिखे पत्र में 91 लाख सरकारी कर्मचारियों का हवाला दिया है। उन्होंने UPS में कई सुधारों की मांग की है। इसमें आखिरी सैलरी के 50 प्रतिशत एश्योर्ड पेंशन की गारंटी के लिए न्यूनतम सेवा 25 साल से 20 साल करने की मांग है। रिटायरमेंट और VRS पर कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित वापसी करने जैसी मांग प्रमुख हैं।

कर्मचारियों के मन में सरकार के प्रति नकारात्मक भाव

डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने पत्र में लिखा है कि NPS रिव्यू कमेटी द्वारा NPS में कुछ बदलाव कर UPS का जो ब्यौरा पेश किया है, वो काफी अतार्किक और असंगत है। इसके चलते देश में एक बार फिर कर्मचारियों के मन में सरकार के प्रति नकारात्मक भाव पैदा हो गया है। देश के समस्त कर्मचारी जगत को उस वक्त ये भरोसा हुआ था, जब आपके द्वारा स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (JCM) को बातचीत के लिए बुलाया गया था। कर्मचारियों को यकीन था कि सरकार, OPS के बारे में कोई ऐतिहासिक फैसला लेगी।

जब वित्त सचिव (बाद में कैबिनेट सचिव नियुक्त) ने देश के सामने UPS का मसौदा रखा तो कर्मचारी हैरान हो गए। नए पेंशन ढांचे में जो बदलाव किए गए, वे नाकाफी थे। नतीजा ये है कि हताश और निराश कर्मचारी दोबारा से आंदोलन के रास्ते पर खड़े हो रहे हैं।

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पीएम मोदी से 5 डिमांड

1. अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत एश्योर्ड पेंशन की गारंटी के लिए न्यूनतम सेवा 25 साल की जगह 20 साल की जाए, ताकि केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को भी न्याय मिल सके। 25 साल के कारण उनके साथ भी असंगति पैदा हो गई है।

2. रिटायरमेंट/VRS पर अनिवार्य रूप से कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित वापसी की जाए, ताकि बुढ़ापे में कर्मचारी अपने पैसे अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकें। घर बनवा सकें, तीर्थ यात्रा कर सके और सम्मान से जीवन बिता सकें।

3. VRS के लिए भी 25 साल की अनिवार्य सेवा की जगह 20 साल की जाए। यह नियम, केंद्र सरकार के OPS में शामिल कर्मचारियों के लिए लागू है। इससे दोनों कर्मचारियों के बीच समानता के अधिकार के कानून का पालन हो सकेगा। ऐसा न होने से एक विसंगति पैदा हो गई है। इसके चलते कोर्ट केस बढ़ेंगे।

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4. VRS लेने वाले कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की तारीख से ही 50 प्रतिशत एश्योर्ड पेंशन देने की व्यवस्था की जाए न कि रिटायरमेंट डेट से। यहां पर सोचने वाली बात है कि UPS में कैबिनेट का फैसला है कि VRS लेने वाले व्यक्ति को पेंशन, रिटायरमेंट तारीख यानी 60 साल की उम्र के बाद ही दी जाएगी। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार उस व्यक्ति को VRS के बाद 10 साल तक कोई पेंशन नहीं देगी। अगर इस बीच रिटायरमेंट की उम्र 65 साल तक बढ़ा दी गई तो उसे 15 साल तक कोई पेंशन नहीं मिलेगी। आखिर सरकार ये कैसे निर्धारित कर पाएगी कि VRS लेने वाला व्यक्ति, हर हाल में पेंशन लेने के लिए 60 या 65 साल तक जिंदा ही रहेगा।

5. NPS रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट जल्द से जल्द सार्वजनिक की जाए।

UPS, NPS और OPS में अंतर

UPS

यूनिफाइड पेंशन स्कीम में आखिरी सैलरी का 50 फीसदी पेंशन मिलेगी। 10 साल से ज्यादा और 25 साल से कम में रिटायर होने पर आनुपातिक रूप से फायदा मिलेगा। कर्मचारी का योगदान 10 फीसदी और सरकार का 18.5 फीसदी रहेगा। NPS की तरह मार्केट में इन्वेस्ट नहीं किया जाएगा, जबकि OPS में DR का प्रावधान रहेगा। NPS वाले कर्मचारी शामिल हो सकेंगे।

NPS

न्यू पेंशन स्कीम में निवेश के आधार पर पेंशन मिलती है। सरकारी और प्राइवेट सभी कर्मचारियों के लिए ये योजना है। सरकारी कर्मचारी 10 फीसदी और सरकार 14 फीसदी योगदान देती है। NPS का बाजार में इन्वेस्टमेंट होता है, इसलिए मार्केट के फायदे भी मिलते हैं। रिटायरमेंट के वक्त कुल जमा राशि का 60 फीसदी एकमुश्त निकाल सकते हैं। वहीं 40 फीसदी पेंशन के रूप में फिक्स रहता है।

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OPS

ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को आखिरी सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलता था। कर्मचारी को कोई योगदान नहीं देना पड़ता था। इस स्कीम में सिर्फ सरकारी कर्मचारी शामिल थे। डियरनेस रिलीफ का भी प्रावधान था। हर 6 महीने में महंगाई के मुताबिक पेंशन बढ़ जाती थी। 20 साल की नौकरी पूरी होने पर कर्मचारी 50 फीसदी फुल पेंशन का हकदार होता था।

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