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Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा आज, अन्नकूट को 56 भोग ही क्यों लगता है, 57 या 58 क्यों नहीं

Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) में भगवान श्रीकृष्ण को कौन से 56 भोग लगते हैं.

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Preeti Dwivedi
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Govardhan Puja 56 Bhog 2024: 31 अक्टूबर और 1 नवंबर, दो दिन दीपावली मनाए जाने के बाद 2 नवंबर यानी आज शनिवार को गोवर्धन पूजा की जा रही है। इस अवसर पर घरों में गोबर से भगवान गोवर्धन को आकार दिया जाएगा। जिसके बाद अन्नकूट की पूजा कर गोवधर्न भगवान 56 प्रकार का भोग लगाया जाएगा।

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पर क्या आप जानते हैं भगवान को 56 प्रकार का ही भोग क्यों लगाते हैं 57 या 58 क्यों नहीं, यदि आपको ये नहीं पता तो चलिए ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है।

दिन में 8 बार करते थे भोजन कृष्ण

श्रीकृष्ण जब गोकुल धाम में माता यशोदा और नंदलाल के साथ रहते थे। मां यशोदा उनके लिए आठ पहर का भोजन बनाती थीं। एक बार ब्रजवासी स्वर्ग के राजा इंद्र की पूजा करने के लिए बड़ा आयोजन कर रहे थे।

कृष्ण ने नंदलाल से पूछा, कि आखिर यह आयोजन किस चीज के लिए हो रहा है। नंदलाल ने कहा कि यह देवराज इंद्र की पूजा के लिए आयोजन हो रहा है। इस पूजा देवराज प्रसन्न होंगे और अच्छी बारिश करेंगे।

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ब्रजवासियों पर आया था गुस्सा

कृष्णजी ने नंदलाल से कहा, कि इंद्र का काम तो बारिश कराना है। तो उनकी पूजा क्यों हो रही है। अगर करना है तो पूजा गोवर्धन पर्वत की करें। जो हमें सब्जियां प्राप्त कराते हैं साथ ही पशुओं को भी घास के रूप में भोजन मिलती है।

कृष्णजी की बात से सभी समर्थ हुए। सभी ने इंद्र की पूजा न करके गोवर्धन की पूजा करना शुरू कर दिया। इससे इंद्रदेव रूष्ट हो गए। उन्हें अपमान महसूस हुआ। ब्रजवासियों के इस कृत्य से उनको क्रोध आया।

कृष्णजी ने इस तरह की इंद्रदेव के प्रकोप से रक्षा

इंद्रदेव ने क्रोधित होकर ब्रज में भयंकर बारिश कर दी। तेज बारिश की वजह से हर तरफ पानी ही पानी हो गया। ये देखकर ब्रजवासी घबरा गए। तब कृष्णजी ने कहा इस अतिवृष्टि से गोवर्धन ही रक्षा कर सकते हैं।

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अत: उनकी शरण में चलें। वहीं ब्रज को इंद्र के क्रोध से बचाएंगे। कृष्णजी ने कनिष्ठा उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठा कर पूरे ब्रज की रक्षा की।

कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक उठाए रखे थे। इस दौरान उन्होंने भोजन ग्रहण नहीं किया था।

भगवान को 56 भोग ही क्यों लगता है

कथाओ के अनुसार जब आठवें दिन बारिश बंद हुई। तब कहीं जाकर ब्रजवासी बारिश से बच सके।

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इस दौरान कृष्ण ने सात दिन तक कुछ नहीं खाया, चूंकि कृष्णजी दिन में आठ बार खाना खाते थे।

इसलिए सात दिन के हिसाब से आठ पहर के 56 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए थे। जो भगवान कृष्ण को पसंद हैं।

ऐसा लगता है 56 भोग

20 तरह की मिठाई

16 प्रकार की नमकीन

20 प्रकार के ड्राई फ्रूट्स

इसके अलावा 56 भोग में माखन मिश्री, लौकी की सब्जी, रबड़ी, पिस्ता, लड्डू, खीर, बादाम का दूध, रसगुल्ला, मठरी, जलेबी, चटनी, मूंग दाल का हलवा, मालपुआ, मोहनभोग, बैंगन की सब्जी, टिक्की, काजू, बादाम, इलायची, घेवर, चिला, पूरी, मुरब्बा, दही, साग, पकौड़ा, खिचड़ी, चावल, दाल, कढ़ी और पापड़ होते हैं।

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