नई दिल्ली। देशभर में मोदी सरकार जल्द ही माता-पिता और बुजुर्गों की देखरेख के लिए नया नियम लागू करने जा रही है। इस नियम का मुख्य उद्देश है माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना साथ ही उनके भरण पोषण का ध्यान देना। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जा रहे इस बिल का नाम मेंटनेंस और वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन (अमेंडमेंट) बिल है। जानकारी के मुताबिक इस बिल को लागू करने पर मानसून सत्र के दौरान भी फैसला लिया जा सकता है। वहीं केंद्र सरकार के एजेंडा में यह बिल लंबे समय से है लेकिन कोरोना के चलते वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन बिल 2019 को लागू करने पर फैसला रूका हुआ है।
क्या है वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन बिल
दिसंबर 2019 में कैबिनेट ने वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन बिल को पास कर दिया है। इस बिल को अब सिर्फ लगू होना बाकी है। बिल का मुख्य मकसद है वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख करना। अक्सर देखा गया है कि लोग एक समय के बाद अपने माता-पिता की देखरेख नहीं कर पाते हैं और उन्हें छोड़ देते है। यह बिल वरिष्ठ नागरिकों को पावर देगा। इस बिल में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ उनके भरण-पोषण का भी खास ध्यान रखा गया है।
यह है नियम
अगर ये बिल कानून बन जाता है तो बच्चों को पेरेंट्स की मेंटेनेंस का जिम्मा सौंपा जाएगा। साथ ही बच्चों को मेंटेनेंस के तौर पर पेरेंट्स को 10,000 रुपये प्रति माह देने होंगे। पेरेंट्स की आय और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा यह रकम तय की गई है। वहीं इस कानून में बायोलिजकल बच्चे और गोद लिये बच्चें दोनों शामिल है। बता दें कि सरकार ने इस नियम में कई बदलाव भी किए है। जैसे मेंटेनेस का पैसा देने का समय 30 दिन से घटाकर 15 दिन कर दिया गया है।