Golconda Fort: गोलकोंडा किला हैदराबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस किले का इतिहास करीब 400 साल पुराना है और यह किला इतना रहस्यमयी है कि इसकी गुत्थी आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। यह किला देश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक हुसैन सागर झील से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला इस क्षेत्र के सबसे संरक्षित स्मारकों में से एक है।
इस किले को बनाने की शुरुआत 13वीं शताब्दी में काकतिया राजवंश द्वारा की गई थी। 1600 के दशक में इस किले का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। यह किला अपनी वास्तुकला, इतिहास, रहस्यों और पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता है।
किले के निर्माण से जुड़ा रोचक इतिहास
कहा जाता है कि, एक दिन एक चरवाहे लड़के को पहाड़ी पर एक मूर्ति मिली थी। जब उस मूर्ति की जानकारी तत्कालीन शासक काकतिया राजा को मिली तो उन्होंने उसे पवित्र स्थान मानकर उसके चारों ओर मिट्टी का एक किला बनवा दिया। इसे ही आज गोलकोंडा किला के नाम से जाना जाता है।
400 फीट ऊंची पहाड़ी पर बने इस किले में आठ दरवाजे और 87 गढ़ हैं। फतेह दरवाजा किले का मुख्य द्वार है, जो 13 फीट चौड़ा और 25 फीट लंबा है। इस दरवाजे को स्टील स्पाइक्स के साथ बनाया गया है।
किले का दरबार हॉल हैदराबाद और सिकंदराबाद दोनों शहरों को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है। यहां पहुंचने के लिए करीब एक हजार सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। इस किले का सबसे बड़ा रहस्य ये है कि, इसे इस तरह बनाया गया है जब कोई किले के तल पर ताली बजाता है तो उसकी आवाज बाला हिस्सार गेट से गूंजते हुए पूरे किले में सुनाई देती है। इस जगह को ‘तालिया मंडप’ या आधुनिक ध्वनि अलार्म भी कहा जाता है।
रहस्यमय सुरंग भी है
माना जाता है, किले में एक रहस्यमय सुरंग भी है, जो किले के सबसे निचले भाग से होकर किले के बाहर निकलती है। इस सुरंग को आपातकालीन स्थिति में शाही परिवार के लोगों को सुरक्षित बाहर पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब तक इस सुरंग का कुछ पता नहीं चल पाया है।