रायपुर। छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार के पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हरेली तिहार पर सीएम हाउस में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, सभ्यता की झलक देखने को मिली। इस अवसर पर खेती, किसानी में काम आने वाले पारंपरिक औजार, यंत्रों और पशुओं की प्रदर्शनी लगाई गई।
सीएम हुए कार्यक्रम में शामिल
वहीं CM भूपेश बघेल हरेली तिराह के कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने अपने परिवार के साथ कृषि यंत्री और गौ माता की पूजा की और अच्छी खेती, प्रदेशवासियों के सुख समृद्धि की कामना की।
इसके बाद उन्होंने सीएम हाउस में आए मेहमानों से मुलाकात की वहीं कार्यक्रम में लोक कलाकारों ने राउत नाचा, गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी और हरेली गीत भी गाए। सीएम भूपेश बघेल ने गेड़ी पर चढ़कर चले। और झूला झूले। इसके अलावा सीएम भूपेश ने लट्टू को अपने हाथ पर चलाया।
छत्तीसगढ़ की पंरपरा के मुताबिक इस दिन गांव के लोग हरेली तिहार के पहले बढ़ई के यहां गेड़ी का आर्डर देते थे। बच्चें इस दिन पर गेड़ी को चलाया करते है। इस बार वन विभाग की तरफ से सी-मार्ट में गेड़ी सस्ते दामों पर मिल रहा है।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शरुआत
हरेली पर्व पर छत्तीसगढ़ में को खास बनाने के लिए सीएम बघेल की पहल पर पिछेल साल से ही प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों की शरुआत की गई थी। प्रदेश में इसकी काफी सराहना भी हुई थी इसको देखते हुए अब प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में दो और खेलों को शामिल किया गया है। रस्सीकूद और कुश्ती को भी हरेली पर्व पर राज्य में खेले जाएगें। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल की शुरूआत सिंतमबर माह से होगी।
किसानों का है खास त्योहार
हरेली पर्व पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि में काम आने वाले औजारों की साफ-सफाई करते हैं। इस अवसर पर घरों में गुड़ का चीला बनाया जाता है। बैल, गाय व भैंस को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परपंरा है।
हरेली पर्व पर कुल देवता व कृषि औजारों की पूजा करने के बाद किसान अच्छी फसल की कामना करते हैं। किसान डेढ़ से दो महीने तक फसल लाने का काम खत्म करने के बाद इस त्योहार को मनाते हैं। इस पर्व पर बच्चों के लिए गांवों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है हरेली त्योहार?
फसलों में किसी प्रकार की बीमारी न लग सके इसके साथ ही पर्यावरण सुरक्षित हो, जिसको लेकर किसानों द्वारा हरेली त्यौहार मनाया जाता है। हरेली अमावस्या अर्थात श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसान अपने खेत एवं फसल की धूप, दीप एवं अक्षत से पूजा करते हैं।
पूजा में विशेष रूप से भिलवा वृक्ष के पत्ते, टहनियां व दशमूल (एक प्रकार का कांटेदार पौधा) को खड़ी फसल में लगाकर पूजा करते हैं। किसानों का मानना है कि इससे कई प्रकार के हानिकारक कीट पतंगों एवं फसल में होने वाली बीमारियों से रक्षा होती है।