Girls Bicycle : आज के समय में लगभग हर इंसान के पास मोटर साइकिल है। वही कई जमानों से चली आ रही साइकिल का चलत कम देखने को मिल रहा है। पहले के जमाने में हर घर में साइकिल होती थी लेकिन अब घरों में साइकिल देखने को कम ही नसीब होती है, लेकिन स्वास्थ्य और फिटनेस के चलते लोगों का साइकिल के प्रति झुकाव बढ़ने लगा है। बाजारों में साइकिल की डिमांग तेजी से देखी जाने लगी है। बाजारों में एक लाख रूपये तक की मोटर साइकिल उपलब्ध है। भारत ही नहीं बल्कि कई ऐसे देश हैं जहां लोग दफ्तर जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते है।
किसने किया साइकिल का अविष्कार
साइकिल के इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं फैलता है और शरीर को कई फायदे होते हैं। यूरोपीय देशों में लोगों ने 18वीं शताब्दी में साइकिल का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1816 में पेरिस में पहली बार एक कारीगर ने साइकिल का आविष्कार किया था। पहले इसे हाॅबी हाॅर्स यानी काठ का घोड़ा कहते थे। इसके बाद साल 1865 में पैर से पैडल घुमाने वाले पहिए का आविष्कार हुआ इसके बाद साइकिल को 1872 में सुंदर रूप मिला। इसके बाद इसमें लोहे की पतली पट्टी के पहिए लगाए गए जिसे साइकिल कहा गया।
लेडीज साइकिल में आगे डंडा क्यों नहीं होता?
बाजार में आपको कई तरह की साइकिल मिल जाएंगी। लेकिन आपने देखा होगा कि पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग तरह की साइकिल मिलती हैं महिलाओं की साइकिल में सामने डंडे नहीं होते है। लोगों के मन में कई बार यह सवाल आता है कि आखिर महिलाओं की साइकिल में सामने खुली जगह क्यों होती है? दरअसल, साइकिल में सामने लगे डंडे से उसके फ्रेम को मजबूती मिलती है, लेकिन महिलाओं के कपड़ों को ध्यान में रखकर उनके लिए ऐसी साइकिल बनाई जाती हैं। क्योंकि डंडे की वजह से महिलाओं को साइकिल चलाने परेशानी होती थी, क्योंकि उनके कपड़े ऊपर उठ जाते थे। इसकी वजह से लेडीज साइकिल से डंडे को हटा दिया गया।