Ghulam Nabi Azad resign : कांग्रेस का धुरंधर, गांधी परिवार का बफादार, कांग्रेस पार्टी की नींब का हिस्सा, कुछ भी कहों गुलाम बनी आजाद आखिरकार आज कांग्रेस से आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) हो चुके है। गांधी परिवार से वफादारी निभाने वाले आजाद को ये सिला मिला की उन्हें पार्टी से दिलों जान से आजाद होना पड़ा। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) ने आज कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। गुलाम नबी का इस्तीफा कांग्रेस पार्टी के खत्मे के संकेत देता है। क्योंकि यू तो आए दिन कांग्रेस के कई नेता इस्तीफा देते आए तो कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) का इस्तीफा यानी पार्टी की नींब हिलने के समान है।
गुलाम बनी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) ने बार-बार पार्टी को नई जिंदगी देने की बात कही, लेकिन आलाकमान की कान में जू तक नहीं रैंगी। आखिर पार्टी में हो रही लगातार उपेक्षा के चलते पार्टी छोडना ही बेहतर समझा। गांधी परिवार के सबसे करीबी आजाद साहब (Ghulam Nabi Azad resign) के चले जाने के बाद पहले से डूब रही कांग्रेस की नाव को कौन संभालेगा, कौन हैं आजाद के दुखों के पहाड़ों का जिम्मेदार, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन कौन है गांधी परिवार के वफादार गुलाम नबी आजाद आइए जानते है….
गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं आजाद
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) केवल कांग्रेस पार्टी के नेता नहीं थे बल्कि वह गांधी परिवार की पीढ़ियों के बेहद करीबी थे। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) गांधी परिवार में अपना अहम रोल निभाते आएं है। आजाद के गांधी परिवार से घरेलू रिश्तों तो थें, बाद में उनकी पार्टी और परिवार के सदस्यों से दूरी बनने लगी। वह कांग्रेस पार्टी के जी-23 के एक अहम नेता के तौर पर उभर कर सामने आए। गुलाम नबी (Ghulam Nabi Azad resign) कहते है कि पार्टी में राहुल गांधी के सिक्योरिटी गार्ड फैसले ले रहे है, पार्टी रिमोट से चल रही है। गुलाम नबी आजाद का केवल जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों में उनका दखल रहा है। उनकी कार्यशैली और कुशल नेतृत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मोदी सरकार में उन्हें साल 2022 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कांग्रेस में आजाद का सफर
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) ने कांग्रेस से अपने राजनैतिक करियर की शुरूआत साल 1973 में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के तौर पर की थी। आजाद के काम, उनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए पार्टी ने उन्हें युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad resign) के राजनैतिक करियर में तब उछाल आया जब उन्होंने साल 1980 महाराष्ट्र में वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से पहला लोकसभा का चुनाव जीता और संसद पहुंचे।
लोकसभा का चुनाव का जीता उनके सितारे इतने बुलंद होते चले गए कि उन्हें साल 1982 में केंद्रीय मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल किया गया। आजाद के करियार में स्वर्णिम युग तब आया जब साल 2005 में वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत हासिल की आजाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। आजाद यूपीए-2 की सराकर में स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा संभाला, इसके अलावा वह नरसिम्हा राव की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे।
आजाद के सियासी सफर पर एक नजर
1980 – जम्मू कश्मीर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
1980 – वाशिम लोकसभा सीट से लोकसभा पहुंचे।
1982 – लॉ मिनिस्ट्री में डिप्टी मिनिस्टर चुने गए।
1984 – आठवीं लोकसभा में भी लोकसभा पहुंचे
1985-89 – सूचना और प्रसारण मंत्रालय में केंद्रीय उप मंत्री रहे।
1990-1996 – राज्यसभा सदस्य रहे
2006 – जम्मू और कश्मीर विधान सभा के लिए चुने गए।
2008 – जम्मू-कश्मीर भद्रवाह से विधानसभा के लिए दोबारा चुने गए।
2008 – जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने।
2009 – राज्यसभा के लिए चुने गए और केंन्द्रीय मंत्री बने।
2014 – राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने।
2015 – पांचवीं बार राज्यसभा सदस्य बने।