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Garun puran: 13 दिनों तक घर के आसपास भटकती रहती है आत्मा!, जानिए क्या है गरूण पुराण में उल्लेख

कहते हैं मृत्यु जीवन Garun puran का अंतिम सत्य है। इस दुनिया में आए हैं तो जाना ही पड़ेगा। हर किसी के जहन में एक सवाल अक्सर आता है कि मरने पर कैसा महसूस होता होगा।

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Preeti Dwivedi
Garun puran: 13 दिनों तक घर के आसपास भटकती रहती है आत्मा!, जानिए क्या है गरूण पुराण में उल्लेख

नई दिल्ली। कहते हैं मृत्यु जीवन Garun puran का अंतिम सत्य है। इस दुनिया में आए हैं तो जाना ही पड़ेगा। हर किसी के जहन में एक सवाल अक्सर आता है कि मरने पर कैसा महसूस होता होगा। हिंदू धर्म की बात करें तो हमारे पुराणों में से एक गरुड़ पुराण (Garuda Purana) को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें हमारी जीने के साथ—साथ मृत्यु और उसके बाद की यात्रा के बारे में भी विस्तार से उल्लेख है। साथ ही इसमें इस बात का वर्णन भी है जिसके अनुसार यह भी बताया गया है कि मरते समय किसी व्‍यक्ति को कैसा महसूस होता है और मृत्यु उपरांत उसकी आत्‍मा (Soul) के साथ क्‍या होता है।

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मरते समय ऐसा महसूस होता है
मरते वक्त व्‍यक्ति की सारी इंद्रियां शिथिल पड़ने लगती हैं। लेकिन उसे वर्षों पुरानी बातें भी याद आने लगती हैं। गरुड़ पुराण में ऐसा कहा गया है। साथ ही यह भी उल्लेखित है कि उसे अपनी जीवन के सारे अच्‍छे-बुरे कर्म एक पट्टी में एक साथ दिखाई देने लगते हैं। व्यक्ति बोलने में असमर्थ होता है लेकिन उसकी आंखों के सामने पूरे जीवन का लेखा—जोखा आ जाता है।

इतने दिन घर के पास रहती है आत्मा
आप सोच रहे होंगे मरने के बाद आत्मा का क्या होता है। गरूण पुराण Garun puran के अनुसार मृत्यृ के बाद 13 दिनों तक व्यक्ति की आत्मा अपने घर के पास ही भटकती रहती है। अपनों के मोह में पड़ी आत्‍मा कई बार अपने ही पुराने शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करती है। जबकि यमदूतों का बंधन उसे ऐसा करने नहीं देता। संतान के द्वारा 10 दिन बाद किया गया पिंडदान ही उस आत्‍मा को उस स्थान से जाने की शक्ति देता है। इसी लिए किसी की मृत्यु के 10 दिन बाद शुद्धता का प्रावधान है। इन 10 दिनों के बाद वह आत्मा अपने लिए नया शरीर खोजती है। गरुड़ पुराण के मुताबिक नया शरीर मिलने में आत्‍मा को 47 दिन का समय लग जाता है। इसके विपरीत अगर व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो तो उसी आत्मा को लंबे समय तक भटकना होता है।

अच्छे कर्म करने पर आसानी से निकलते हैं प्राण

जब मृत्यु नजदीक होती है तो मरते हुए व्‍यक्ति को उसे ले जाने वाले यमदूत नजर आने लगते हैं। यदि व्‍यक्ति ने अपनी जिंदगी में अच्‍छे कर्म किए होंगे तो उसके प्राण आसानी से निकल जाते हैं। अन्यथा उसकी आत्‍मा को शरीर छोड़ने में काफी परेशानियां आती हैं। इसलिए कहते हैं मरने के पहले गौदान करने से प्राण आसानी से निकलते हैं। गाय का दान करने से मिलने वाला पुण्‍य उसे शांतिपूर्ण व आसानी से होने वाली मृत्‍यु प्रदान करता है। इसके बाद यमलोक में उसके कर्मों का लेखा—जोखा देखा जाता है। इसके बाद उसे नया शरीर खोजने के लिए मृत्‍युलोक में छोड़ दिया जाता है।

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(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इनकी पुष्टि नहीं करता है।)

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