मुंबई। आलिया भट्ट और अजय देवगन स्टारर फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (Gangubai Kathiawadi) का ट्रेलर इन दिनों दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है। लोग फिल्म में काम करने वाले स्टार से लेकर किरदार तक के बारे में जानना चाहते हैं। इस फिल्म में काम करने वाले स्टार के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं। लेकिन किरदार के बारे में कम ही लोग जानते हैं। खासकर अजय देवगन (Ajay Devgn) ने जिनके किरदार को निभाया है उनके बारे में लोग जनना चाहते हैं।
करीम लाला के रोल में नजर आएंगे अजय देवगन
बता दें कि इस फिल्म में अजय देवगन ने ‘करीम लाला’ (karim lala) का किरदार निभाया है। इस फिल्म को संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) ने डायरेक्ट किया है और इसमें आलिया भट्ट (Alia Bhatt) पहली बार किसी लेडी डॉन की भूमिका में नजर आयेंगी। फिल्म में गंगूबाई की जीवनी को दिखाया गया है कि कैसे वो गुजरात से मुंबई पहुंचती है और उन्हें कमाठीपुरा के कोठे में बेच दिया जाता है। दलदल में फंसने के बाद उनकी मुलाकात करीम लाला से होती है, जो कई लोगों के लिए डॉन था, जबकि कुछ लोग उसे भगवान मानते थे।
दोनों मुंह बोले भाई-बहन बन जाते हैं
करीम लाला से मिलकर गंगूबाई भी अपने लिए न्याय की गुहार लगाती है। लाला भी गंगूबाई की मजबूरी को समझते हुए उसकी मदद का फैसला करता है। इसके बाद दोनों मुंह बोले भाई-बहन बन जाते हैं।
बीच बाजार दाउद की पिटाई की थी
जानने वाले बताते हैं कि मुंबई का सबसे पहला माफिया डॉन करीम लाला ही था। अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान भी उसे रियल डॉन मानता था। माना जाता है कि मुंबई में करीम लाला के नाम का बोल बोला था। करीम लाला इतना पावरफुल था कि उसने एक बार बीच बाजार दाऊद इब्राहिम की पिटाई कर दी थी। अवैध गतिविधियों में शामिल होने के कारण, एक तरफ जहां लोग उससे थरथर कांपते थे। वहीं दूसरी तरफ गरीब और जरूरतमंद लोग उसे पूजते थे। क्योंकि वो गरीबों की मदद करने से कभी भी चूकता नहीं था। उसकी सबसे बड़ी खासियत यही थी कि वो गरीबों और जरूरतमंदों का दुख नहीं देख पाता था। जबकि बदमाशों को सबक सिखाने से भी पीछे नहीं हटता था।
लाला का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। उसका जन्म 1911 में अफगानिस्तान में हुआ था। माना जाता है कि वह पश्तून समुदाय का आखिरी राजा था। वो काफी अमीर था जमींदार परिवार से आता था। 21 साल की उम्र में वो पेशावर होता हुआ मुंबई पहुंचा था और 1940 का दशक आते-आते वो डॉक पर तस्करी का किंग बन चुका था। मुंबई में कई जगह उसके जुए और दारू के अड्डे चलते थे। उसे पठान गैंग का सुप्रीमों माना जाता था।
पहले लाला के लिए ही काम करता था दाउद
बाद में मुंबई पर राज करने को लेकर करीम लाला और दाऊद गैंस के बीच खूनी खेल शुरू हो गया। इस गैंगवार में दोनों तरफ से कई लोग मारे गए। बता दें कि दाऊद इब्राहिम पहले करीम लाला के गैंग में ही काम करता था। हालांकि, बाद में उसने अपना गैंग बना लिया था।