/bansal-news/media/post_attachments/wp-content/uploads/2024/07/fine-for-feeding-monkeys.jpg)
गंगटोक। सिक्किम के वन पर्यावरण और वन्यजीव विभाग ने कहा है कि बंदरों को खाना खिलाना या खाद्य अपशिष्ट का अनुचित तरीके से निपटान अपराध माना जाएगा तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
संरक्षित प्रजाति के हैं ये बंदर
वन पर्यावरण और वन्यजीव विभाग ने कहा कि मकाऊ प्रजाति के बंदर एक संरक्षित प्रजाति है और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत खाना खिलाना सख्त रूप से वर्जित है। सिक्किम के मुख्य वन्यजीव वार्डन संदीप तांबे ने 19 अगस्त को एक सार्वजनिक नोटिस में कहा यह एक महत्वपूर्ण मामले पर प्रकाश डालना है।
बंदरों को भोजन खिलाने से बढ़ी संख्या
जो हम सभी की सुरक्षा और भलाई से संबंधित है। मानवों द्वारा मकाऊ प्रजाति के बंदरों को भोजन खिलाने और खाद्य अपशिष्ट के अनुचित प्रबंधन के परिणामस्वरूप उनकी आबादी में अप्राकृतिक रूप से वृद्धि हुई है।
वन्यजीव वार्डन संदीप तांबे ने कहा
मुख्य वन्यजीव वार्डन संदीप तांबे ने कहा इसके परिणामस्वरूप शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मानव-बंदर के बीच संघर्ष की बढ़ती घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है जो अब एक सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा का मुद्दा बन गया है। यह पहचानना आवश्यक है कि उन्हें खाना खिलाना और खाद्य अपशिष्ट का अनुचित निपटान करना जोखिम तथा चिंता का विषय है।
/bansal-news/media/post_attachments/wp-content/uploads/2023/08/fine-for-feeding-monkeys-1-859x540.jpg)
धीरे-धीरे आक्रामक हो रहे बंदर
नोटिस में यह भी कहा गया है कि इंसानों द्वारा पाले गए बंदरों में डर की भावना खत्म हो जाती है और अब बंदरों ने लोगों की भोजन सामग्री के साथ खुद को जोड़ लिया है और वे धीरे-धीरे आक्रामक हो जाते हैं। इसमें कहा गया है कि बंदर जंगली जानवर हैं और उनका व्यवहार अप्रत्याशित हो सकता है उन्हें खाना खिलाने से वे इंसानों के पास जाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
बंदरों के काटने के बढ़ जाते है मामले
जिसके परिणामस्वरूप बंदरों के काटने या उनके कारण चोट लगने की घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। नोटिस में कहा गया है कि जंगलों में भोजन ढूंढने की कवायद के बजाय बंदरों को जब बना बनाया भोजन उपलब्ध हो जाता है।
प्राकृतिक आहार से दूर हो रहे बंदर
तो फिर वे इंसानों से भोजन मिलने की उम्मीद में कार्यालयों घरों धार्मिक स्थलों सुपर मार्केट तथा दुकानों में जाना शुरू कर देते हैं। इसमें कहा गया है मानव खाद्य उत्पाद कैलोरी से भरपूर होते हैं और भोजन का आसानी से पचने योग्य स्रोत होते हैं। लेकिन ये खाद्य पदार्थ तनाव के स्तर को बढ़ाते हैं और समूहों के बीच आक्रामकता को बढ़ाते हैं। इसलिए बंदरों को भोजन उपलब्ध कराने से उनके प्राकृतिक आहार पैटर्न और व्यवहार में बाधा आ सकती है।
ये भी पढे़ें:
RPSC Recruitment 2023: असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर आज से आवेदन शुरु, इस लिंक से करें आवेदन
Dream Girl 2 Advance Booking: गदर 2 और ओएमजी 2 से टकराएगी पूजा, बुकिंग के पहले दिन बिके इतने टिकट
MP Election 2023: भाजपा के घोषित 39 प्रत्याशी पहुंचे BJP दफ्तर, CM Shivraj देंगे जीत का मंत्र
Putrada Ekadashi 2023: सावन पुत्रदा एकादशी पर करें ये काम, संतान सुख की इच्छा होगी पूरी
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें