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मनीष तिवारी. सागर। वैसे तो प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के देशभर में अनेकों मंदिर और अद्भुत प्रतिमाएं हैं। लेकिन आज हम आपको भगवान गणेश की एक ऐसी अद्वितीय प्रतिमा के दर्शन कराएंगे जिन के दरबार में कभी हीरे जवाहरात के बाजार लगा करते थे। भगवान गणेश की प्रतिमा शायद ही आपने कभी देखी हो।
सागर भोपाल रोड पर राहतगढ़ के नजदीक हरे-भरे जंगलों के बीच बीना नदी किनारे कभी एक नगर बसता था जिसे पाटन नगर कहा जाता था। इस नगर के मध्य एक विशाल गणपति मंदिर था जो कि अब सिर्फ एक छोटे से मंदिर में सिमट कर रह गया है कहते हैं किस नवनिर्मित मंदिर में विराजमान शिवलिंग और भगवान गणेश की प्रतिमा महाभारत कालीन है।
कभी नदी के किनारे बसा पाटन नगर का हिस्सा था। और इस मंदिर के प्रांगण में हीरे जवाहरात के बाजार लगते थे। जहां दूर-दूर से राजे रजवाड़े और अन्य लोग हाथी घोड़ों से खरीदारी करने आते थे। लेकिन किसी दैवीय प्रकोप के कारण यह नगर उजाड़ हो गया। अब यहां की बस मंदिर के कुछ अवशेष और भगवान गणेश की प्रतिमा शिवलिंग ही शेष रह गया है।
भगवान गणेश की प्रतिमा शरीफ 8 से 10 फीट ऊंची है, जिनके दाएं और बाएं क्रमशः रिद्धि सिद्धि की प्रतिमाएं भी बनी हुई है भगवान गणेश के आगे एक विशाल शिवलिंग है जिसमें लिंग के ऊपर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा बनी हुई है। दवा किया जाता है कि यह शिवलिंग भारतवर्ष में अद्वितीय है।
कुछ स्थानीय लोग ऐसे भी हैं जो दावा करते हैं कि उनके पूर्वज इसी पाटन गांव का हिस्सा हुआ करते थे उन्होंने अपने पूर्वजों से इसकी कहानी सुननी है लेकिन यह गांव उजाड़ क्यों हुआ यह किसी को नहीं पता।
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