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रायपुर से टिकेश वर्मा की रिपोर्ट। Ganesh Mahotsav 2023: मंगलवार से शुरू हो रहे गणेश महोत्सव में घर-घर बप्पा विराजेंगे। शहर के एक मूर्तिकार ने आस्था के साथ पर्यावरण की चिंता को जोड़ते हुए अनूठा प्रयोग किया है और एक ऐसे बप्पा तैयार किए हैं जो विसर्जित होकर पौधे का रूप ले लेंगे।
इकोफ्रैंडली है गणेश प्रतिमा
रायपुर के महादेव घाट स्थित बांस टाल में रहने वाले शिवचरण यादव के परिवार ने इन मूर्तियों को तैयार किया है। यह परिवार पिछले कई सालों से इकोफ्रैंडली गणेश की मूर्तियां तैयार करते आ रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ ओलंपिक की तर्ज पर गणपति जी की प्रतिमा बनाई है। फल, फूल, सब्जियों, भौरा-रेत, बांटी, गिल्ली, डंडा, कॉफी के बीज सहित विभिन्न अनाजों और फलाहारी से गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण किया गया।
केमिकल का नहीं किया गया उपयोग?
मूर्तिकार राशि यादव व राहुल यादव बताते हैं कि इन मूर्तियों की ख़ास बात ये होती है कि इसे बनाने में मिट्टी की जगह पूराने अख़बारों की लूग्दी का उपयोग किया जाता है। साथ ही किसी भी तरह के केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल इनकी बनायी मूर्तियों में नहीं होता।
शिवचरण यादव ने बताया कि वे खाद्य पदार्थों से ही ज्यादातर मूर्तियां तैयार करते हैं। जिससे विसर्जन के बाद जलीय जीव उसे खा सकें और उन्हें किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे।
इस परिवार ने 500 भौरा, 1000 बांटी, 700 गिल्ली डंडा से गणेश की प्रतिमा को तैयार किया है। पारिजात और सीसम की लकड़ी से गिल्ली डंडा बना है।
यहां विराजमान होगी प्रतिमा
मूर्तिकार रवि यादव ने बताया कि बलमहाराज गणेश उत्सव समिति डंगनिया में यह गणपति जी विरजमान होंगे। इसे बनाने में 3 महीने का समय लगा है। जब छत्तीसगढ़ में ओलंपिक की शुरुआत हुई तभी इस थीम को सोच लिए था और तभी से इस पर काम करना शुरू किया।
फल, फूल सब्जियों ने बनाई प्रतिमा
परिवार ने एक गणपती को फल, फूल सब्जियों के बीज से बनाया हैं। इस मुर्ति को 15 दिन में तैयार किया गया है। ये उपचारित बीज हैं घर में उगाने पर इसमें सब्जी उग जाएंगे। पूर्व राज्यमंत्री भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपी शर्मा के घर ये गणपति विराजमान होंगे।
वहीं एक गणपती जी को कॉफी के बीजों से तैयार किया गया है। कच्चे और भुना हुआ दो प्रकार के बीजों से इन प्रतिमाओं का निर्माण किया गया। वहीं, इनका मुकुट पेपर स्ट्रॉ से बनाया गया है। इसके अलावा मौली धागा, मोती, धान, चावल से भी गणेश जी बनाया गया है। इस बार पेपर क्राफ्ट के गणपती ज्यादा डिमांड में है।
मूर्तिकार की कोशिश है कि ईको फ्रैंडली मूर्तियां ही स्थापित हो ताकी पर्व का उल्लास बना रहे और प्रकृति को इससे नुकसान भी ना हो। इसी भाव को लेकर लगातार 25 वर्षो से यह परिवार गणपति बप्पा की मूर्तियां बना रहा है। जिसकी चर्चा रायपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश भर में हो रही है।
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