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Ganesh Chaturthi 2022: महाराष्ट्र के एक हजार से ज्यादा गांवों में 'एक गांव, एक गणपति', जानिए रोचक वजह

Ganesh Chaturthi 2022: महाराष्ट्र के एक हजार से ज्यादा गांवों में 'एक गांव, एक गणपति', जानिए रोचक वजह Ganesh Chaturthi 2022: 'One village, one Ganpati' in more than a thousand villages of Maharashtra, know the interesting reason sm

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Bansal News
Ganesh Chaturthi 2022: महाराष्ट्र के एक हजार से ज्यादा गांवों में 'एक गांव, एक गणपति', जानिए रोचक वजह

मुंबई। देशभर में गणेश पर्व पूरे भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार कोल्हापुर, सांगली, सतारा और सोलापुर समेत दक्षिण महाराष्ट्र के चार जिलों के 1,000 से अधिक गांव एकता और शांति के संदेश पर जोर देने के लिए एक गांव, एक गणपति मनाएंगे। इसकी शुरुआत हुई 60 वर्ष पहले जानते है पूरी खबर -

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लोग घरों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं। वहीं, बड़े-बड़े पंडालों में भी भगवान गणेश की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाती हैं, लेकिन महाराष्ट्र का अगरोली गांव वह स्थान है, जहां दशकों पहले ‘एक गांव एक गणपति’ की परंपरा शुरू की गई थी और अब आसपास के कई गांवों में इसका अनुसरण किया जा रहा है। अगरोली अब नवी मुंबई क्षेत्र में आता है। यहां 1961 में कम्युनिष्ट नेता भाऊ सखाराम पाटील ने गणेश उत्सव के दौरान ‘एक गांव, एक गणपति’ परंपरा अपनाने का प्रस्ताव रखा था। कॉमरेड पाटील ने क्षेत्र में महामारी के प्रकोप के बाद पेश अपने प्रस्ताव में कहा था कि प्रत्येक परिवार को भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने की जरूरत नहीं है, पूरे गांव में भगवान गणेश की एक ही मूर्ति होनी चाहिए, जिससे खर्च भी कम आएगा।

अगरोली गांव के लोगों के जीवनयापन का मुख्य स्रोत मछली पकड़ना, नमक उत्पादन और धान उगाना है।गांव के सार्वजनिक गणेश मंडल के न्यासी दिलीप वैद्य कहते हैं, ‘‘लोग गरीब थे, लेकिन अनेक परिवार पर्व मनाने के लिए पैसे उधार लेते थे और इस तरह कर्ज के जाल में फंस जाते थे।’’ शुरुआत में लोगों को यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि परंपरा तोड़ने से उन पर दैवीय प्रकोप पड़ सकता है। लेकिन बाद में लोग धीरे-धीरे इसके लिए राजी हुए और गांव में एक ही गणेश प्रतिमा स्थापित करके 11 दिन तक पर्व मनाया जाने लगा।

भाऊ पाटील के पोते भूषण पाटील ने मिडिया से कहा, ‘‘यह पहला गांव था, जहां ‘एक गांव एक गणपति’ के विचार को अमल में लाया गया और यह परंपरा 60 से अधिक वर्षों से जारी है।’’ उन्होंने कहा कि इससे गांव में भाईचारे की भावना बढ़ी है।विशेष पुलिस महानिरीक्षक (कोल्हापुर रेंज) मनोज लोहिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘एक गांव, एक गणपति’ परंपरा अब पश्चिमी महाराष्ट्र में भी लोकप्रिय है, खासतौर पर सातारा, सांगली, सोलापुर और पुणे के ग्रामीण इलाकों में। इस वर्ष सातारा जिले के 593 गांवों में भगवान गणेश की एक ही मूर्ति स्थापित की गई है।

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