नई दिल्ली। जन्माष्टमी का त्योहार Ganesh Chaturthi 2022: बीतते ही बस बाजार kub hai में गणेश उत्सव की धूम मचने वाली है। मूर्तिकार श्रीगणेश की प्रतिमा को फायनल आकार देने में लगे हैं। इसी के साथ घरों में भी भक्त भगवान विघ्नहर्ता की प्रतिमाओं को आकार दे रहे हैं। इसी के साथ स्थापना को लेकर भी चीजों की तैयारी हो रही है। अगर आप भी अपने घर में गणपत्ति बप्पा को लाने वाले हैं तो चलिए आज हम बताते हैं। आपको पूरी जानकारी कि घर में किस मुहूर्त में गणपति को विराजे जाएंगे।
इस समय में स्थापित होंगे गणपति बप्पा –
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार ये गणेश जी दोपहरिया गणेश कहलाते हैं। यानि घर में गणेश जी की प्रतिमा दोपहर 12 बजे स्थापित की जा सकती है। इस बार चतुर्थी तिथि 30 अगस्त को दोपहर 2ः23 मिनट पर आ जाएगी। जो 31 अगस्त को दोपहर 1ः47 तक रहेगी। यानि 31 अगस्त उदया तिथि में गणेश चर्तुथी मनाएगी जाएगी। भले ही चर्तुथी तिथि दोपहर तक हो। लेकिन गणेश स्थापना पूरे दिन तक की जा सकेगी। चलिए जानते है 31 अगस्त को कौन-कौन से मुहूर्त आने वाले हैं।
31 अगस्त को गणेश चतुर्थी स्थापना के मुहूर्त –
लाभ, अमृत – सुबह 6 से 9 बजे तक
शुभ चौघड़िया – सुबह 10ः30-12 बजे तक
चर और लाभ – दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक
शुभ और अमृत – शाम 7ः30 बजे से रात 10ः30 बजे तक
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 30 अगस्त 2022 को 02ः33 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त 31 अगस्त 2022 को 01ः47 बजे
गणेश चतुर्थी व्रत पूजन की तारीख: 31 अगस्त 2022
गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट –
भगवान गणेश की प्रतिमा
लाल कपड़ा, जनेऊ
दूर्वा, कलश
नारियल, रोली
पंचामृत, मौली लाल
पंचमेवा, गंगाजल
पूजन सामग्री – गणेश चतुर्थी 2022 पूजा- विधि
गणेश चतुर्थी के दिन प्रातःकाल स्नान आदि करके घर के मंदिर में दीपक जलाएंण् अब व्रत पूजा का संकल्प लें। इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। भक्त अपनी इच्छानुसार गणपति की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करें। अब भगवान श्री गणेश को पुष्प। दूर्वा घास अर्पित करें। दूर्वा घास भगवान गणेश को अति प्रिय है। मान्यता है कि दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होकर भक्तों के सारे संकट हर लेते हैं। भगवान गणेश की पूजा के दौरान उन्हें सिंदूर लगाएं तथा उनका प्रिय भोग मोदक या लड्डू अर्पित करें। पूजा के अंत में भगवान गणेश जी की आरती करके उन्हें प्रणाम करें और क्षमा प्रार्थना करें। अंत में प्रसाद वितरण करें।
भगवान गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
श्सूरश् श्याम शरण आए
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
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