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हाइलाइट्स
महात्मा गांधी की जयंती
महात्मा गांधी के बारे में रोचक बातें
महात्मा गांधी के सत्य के प्रयोग
Gandhi Jayanti: आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है। महात्मा गांधी के बारे में आमतौर पर लोग उनके अहिंसा, सत्याग्रह, और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के बारे में जानते हैं। लेकिन उनके जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं। हम आपको ऐसी 5 बातें और उनके सत्य के प्रयोग बता रहे हैं।
5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट हुए महात्मा गांधी
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नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 5 बार नॉमिनेट हुए महात्मा गांधी[/caption]
महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था। 1937, 1938, 1939, 1947 और 1948 में उनका नाम आया, लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला। 1948 में उनकी हत्या के बाद नोबेल समिति ने कहा कि हमने एक महान अवसर खो दिया।
गांधी जी को कभी ग्रेट लॉयर नहीं माना गया
महात्मा गांधी ने इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी, लेकिन भारत लौटने पर शुरुआत में वकालत में सफल नहीं हो पाए। कोर्ट में तर्क रखने से ज्यादा वे शर्मीले और चुप रहने वाले माने जाते थे।
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वकालत के दौरान सूट पहना करते थे महात्मा गांधी[/caption]
पहले सूट पहना फिर धोती
इंग्लैंड में पढ़ाई और दक्षिण अफ्रीका में काम के दौरान महात्मा गांधी हमेशा थ्री-पीस सूट और टाई पहनते थे। बाद में भारत आकर उन्होंने साधारण धोती और खादी को अपनी पहचान बनाया।
11 बार जेल की सजा काटी
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कोलकाता जेल में गांधी जी[/caption]
महात्मा गांधी को भारत और दक्षिण अफ्रीका में मिलाकर कुल 11 बार कैद किया गया। सबसे लंबी सजा 6 साल की थी, जो चौरी-चौरा कांड के बाद 1922 में उन्हें मिली थी। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वे 2 साल बाद ही रिहा हो गए थे।
महात्मा गांधी टॉलस्टॉय और गीता से प्रभावित
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अध्ययन करते हुए महात्मा गांधी[/caption]
महात्मा गांधी की विचारधारा पर भगवद गीता, जॉन रस्किन की किताब ‘Unto This Last’ और लियो टॉलस्टॉय की रचनाओं का गहरा असर पड़ा। महात्मा गांधी ने टॉलस्टॉय के साथ पत्राचार भी किया और उनके विचारों को अपने आंदोलनों में उतारा।
गांधी जी के सत्य के प्रयोग
सत्य और ईश्वर का संबंध
गांधी जी के लिए सत्य ही ईश्वर था। God is Truth से आगे बढ़कर उन्होंने कहा कि Truth is God। उनका मानना था कि सत्य ही परमात्मा का वास्तविक स्वरूप है।
व्यक्तिगत जीवन में प्रयोग
बचपन से ही गांधी जी ने सत्य बोलने की आदत डाली। उन्होंने चोरी, झूठ, और अन्य गलतियों को भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया ताकि जीवन में सत्य का मार्ग हमेशा बना रहे।
अहिंसा के साथ जुड़ा प्रयोग
गांधी जी का विश्वास था कि सत्य और अहिंसा एक-दूसरे के पूरक हैं। जब भी अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उन्होंने सत्याग्रह का मार्ग चुना, जिसमें हिंसा का स्थान नहीं था।
सामाजिक और राजनीतिक प्रयोग
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ और भारत में स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी ने सत्य के आधार पर आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनका कहना था कि अगर सत्य के लिए संघर्ष है तो अन्याय करने वाले से भी घृणा नहीं, बल्कि करुणा रखनी चाहिए।
आत्म-अनुशासन और ब्रह्मचर्य
गांधी जी ने आत्म संयम, शाकाहार, उपवास और ब्रह्मचर्य को भी सत्य की खोज का साधन माना। उनका विश्वास था कि आत्म शुद्धि के बिना सत्य का अनुभव संभव नहीं है।
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