Gandhi Jayanti 2024: महात्मा गांधी के जीवन में कई ऐसे प्रेरक प्रसंग हैं, जो न केवल उनके व्यक्तित्व को उजागर करते हैं, बल्कि हमें महत्वपूर्ण जीवन मूल्य और नैतिक शिक्षा भी देते हैं। गांधी जी ने अपने अनुभवों से जो ज्ञान अर्जित किया, वह आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है। आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक और सीख देने वाली घटनाएं बता रहे हैं।
शिक्षक के इशारे पर भी नहीं की नकल
राजकोट के हाई स्कूल में शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर जाइल्स स्कूल का मुआयना करने आए। उन्होंने नौंवी कक्षा के विद्यार्थियों से अंग्रेजी में श्रुतलेख कराया, जिसमें ‘केटल’ शब्द भी था। कक्षा का विद्यार्थी मोहनदास इस शब्द की सही स्पेलिंग नहीं लिख पाया। जबकि अन्य सभी विद्यार्थियों ने सही लिखा। शिक्षक ने इशारे से मोहनदास को नकल करने को कहा, लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इंस्पेक्टर के जाने के बाद शिक्षक ने गुस्से में मोहनदास को समझाया कि वह नासमझ है। मोहनदास ने दृढ़ता से कहा कि नकल करना धोखा देने के समान है। इस पर शिक्षक हैरान रह गए और कहा कि मोहनदास, तुम आगे चलकर बहुत कामयाब बनोगे। यह सच साबित हुआ, क्योंकि मोहनदास आगे चलकर महात्मा गांधी के रूप में प्रसिद्ध हुए।
दुख ने पहुंचाया कष्ट
महात्मा गांधी झूठ के खिलाफ थे। उनके जीवन में एक घटना ने उन्हें सिखाया कि वे कभी झूठ नहीं बोलेंगे। उनके भाई कर्ज में थे, इसलिए उन्होंने मदद के लिए अपना सोने का कड़ा बेच दिया। जब परिवार ने कड़े के बारे में पूछा, तो उन्होंने झूठ बोला कि वह खो गया है। लेकिन झूठ बोलने के बाद उनकी आत्मा उन्हें परेशान करने लगी। इसलिए उन्होंने अपने पिता को पत्र लिखा और सच बता दिया। उन्हें लगा कि पिता गुस्सा होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
गलती हो तो माफी मांगनी चाहिए
गांधी जी एक बार यात्रा पर थे, जब उनके अनुयायी आनंद स्वामी की एक व्यक्ति से बहस हो गई। बहस बढ़ने पर आनंद स्वामी ने उस व्यक्ति को थप्पड़ मार दिया। जब गांधी जी को इस घटना का पता चला, तो उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने आनंद स्वामी से कहा कि उन्हें उस व्यक्ति से माफी मांगनी चाहिए। गांधी जी ने यह भी पूछा कि अगर वह व्यक्ति आपके बराबरी का होता, तो क्या आप उसे थप्पड़ मारते ? इस सवाल ने आनंद स्वामी को गहराई से सोचने पर मजबूर किया। अंततः उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और उस व्यक्ति से माफी मांगी। इस घटना ने आनंद स्वामी को अहिंसा और मानवता का सही अर्थ समझाया। गांधी जी के मार्गदर्शन से आनंद स्वामी ने अपने व्यवहार में सुधार किया और सच्चे अनुयायी की तरह अपने सिद्धांतों का पालन करने का निर्णय लिया।
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दूसरों से पहले अपना आचरण देखें
एक बार एक औरत अपने छोटे बेटे के साथ बापू के पास आई। उसने बताया कि उसका बेटा बहुत गुड़ खाता है, जिससे उसके दांत खराब हो गए हैं और बापू से कहा कि वह उसे गुड़ छोड़ने के लिए कहें। बापू ने औरत से कहा कि वह एक हफ्ते बाद लौटे। ऐसा तीन बार हुआ। जब चौथी बार वह औरत आई तो बापू ने बच्चे को अपने पास बुलाया और प्यार से समझाया कि ज्यादा गुड़ खाना ठीक नहीं है। बापू ने कहा कि वह बच्चे को ले जा सकती है और वह थोड़े दिनों में गुड़ खाना छोड़ देगा। इस पर औरत ने नाराजगी जताई और कहा कि अगर बापू को यही कहना था, तो पहले ही क्यों नहीं कहा। बापू ने उत्तर दिया कि चार हफ्ते पहले मैं भी बहुत गुड़ खाता था और मैं किसी ऐसी चीज को व्यवहार में नहीं लाना चाहता जिसे मैं खुद नहीं कर सकता।
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