Gandhi Jayanti 2024: आज महात्मा गांधी की जयंती है। बापू ने सत्य और अहिंसा के सहारे देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाई थी। आज हम आपको बता रहे हैं कि महात्मा गांधी का मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से क्या नाता था। किसके बुलाने पर बापू मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा आए थे। वहीं छत्तीसगढ़ में उन्होंने किसे अपना अग्रदूत कहा था।
छिंदवाड़ा से हुई असहयोग आंदोलन की शुरुआत
1920 में असहयोग आंदोलन की योजना महाराष्ट्र के नागपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में तैयार हुई थी, लेकिन इसका आरंभ महात्मा गांधी ने 1921 में छिंदवाड़ा से किया। यह आंदोलन अंग्रेजों को हटाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ। गांधी जी के कदम जहां-जहां पड़े, वे स्थान आज भी धरोहर के रूप में संरक्षित हैं। इनमें से एक छिंदवाड़ा का गांधी गंज है।
छिंदवाड़ा कब आए थे महात्मा गांधी
इतिहासकारों के मुताबिक गांधी जी ने मध्य प्रदेश में 10 बार यात्रा की थी। उनकी तीसरी यात्रा 6 जनवरी 1921 को छिंदवाड़ा में हुई, जहां से उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी। 1914 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद, गांधी जी के राजनीतिक गुरू गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें देश की यात्रा करने की सलाह दी थी। इसके बाद दिसंबर 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में गांधी जी ने पहली बार भाग लिया, जहां उन्होंने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पास कराने के लिए जोर दिया।
इलाके का नाम रखा गया गांधी गंज
असहयोग आंदोलन की योजना नागपुर अधिवेशन में तैयार हो चुकी थी। इसके बाद 6 जनवरी 1921 को महात्मा गांधी छिंदवाड़ा आए और चिट्नवीस गंज में एक सभा की। यहीं से असहयोग आंदोलन के विस्तार और उसके लक्ष्यों की घोषणा की गई। इसके बाद इस क्षेत्र का नाम गांधी गंज रख दिया गया।
किसके बुलाने पर छिंदवाड़ा आए थे बापू
दो अली भाइयों के कहने पर गांधी जी छिंदवाड़ा आए और सेठ गोनादास की अग्रवाल धर्मशाला में ठहरे। वहां से वे पैदल सभा स्थल पहुंचे। अली बंधुओं ने छिंदवाड़ा के गोल गंज में जामा मस्जिद बनवाई थी। चर्चा में ये तय हुआ कि सभा चिटनवीस गंज के मैदान में होगी। उस समय हजारों लोग उन्हें सुनने के लिए छिंदवाड़ा आए थे, जिनमें सबसे ज्यादा महिलाएं थीं। अली बंधू झारखंड के निवासी थे। वे झारखंड से छिंदवाड़ा आए और यहीं बस गए। उनकी गांधीजी से पहली मुलाकात कोलकाता में हुई थी।
छत्तीसगढ़ से महात्मा गांधी का कनेक्शन
गांधी जी पहली बार 20 दिसंबर 1920 को छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने कंदेल गांव में नहर सत्याग्रह कर रहे लोगों का समर्थन किया था। इस सत्याग्रह की अगुवाई पंडित सुंदरलाल शर्मा कर रहे थे। कंदेल में नहर के पानी का उपयोग करने पर जुर्माना लगाने की वजह से सत्याग्रह शुरू किया गया था।
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CG में बापू ने किसे कहा अपना अग्रदूत
महात्मा गांधी दूसरी बार 1933 में छत्तीसगढ़ आए थे। ये कार्यक्रम अछूतों के लिए था। गांधी जी ने पंडित सुंदरलाल शर्मा को इस काम के लिए अपना अग्रदूत कहा क्योंकि उन्होंने 1918 में राजिम से इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। छत्तीसगढ़ के रामदयाल तिवारी ने गांधी मीमांसा किताब लिखी जो बापू की इसी यात्रा से प्रभावित थी। Gandhi Jayanti 2024
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