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G-20 Summit: भारत के पड़ोसी देश चीन को अब संस्कृत के शब्द 'वसुधैव कुटुंबकम' से दिक्कत होने लगी है, जिसको लेकर उसने अपना विरोध भी दर्ज कराया है। दरअसल, इस बार जी-20 की मेजबानी भारत कर रहा है, ऐसे में जी-20 के दस्तावेज़ों में 'वसुधैव कुटुंबकम' शब्द का उपयोग किया गया है।
जिसपर चीन ने आपत्ति दर्ज कराई है। चीन का कहना है कि जी-20 दस्तावेज आधिकारिक तौर पर 'वसुधैव कुटुंबकम' शब्द का उपयोग नहीं कर सकते। बता दें कि पिछले महीने जी20 से जुड़े कुछ दस्तावेज जारी किये गए थे, जिसमें इस संस्कृत शब्द का यूज था। जिसपर किसी ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई थी।
चीन ने दिया तर्क
चीन ने अपना तर्क देते हुए कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' एक संस्कृत भाषा का शब्द है और इस भाषा को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से मान्यता दी गई है। ऐसे में इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में गोवा में हुई इनर्जी ट्रांजिशन मिनिस्टर्स मीटिंग ( ईटीएमएम) में चीन के विरोध को देखते हुए संस्कृत के श्लोक को हटाया गया था।
विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने जी-20 के लोगो में संस्कृत श्लोक 'वसुधैव कुटुंबकम्' के इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा है कि वह इस श्लोक के सिर्फ़ अंग्रेज़ी अनुवाद - “एक दुनिया, एक परिवार, एक भविष्य”- का इस्तेमाल ही दस्तावेज़ों और बयानों में कर रहा है।
इस मामले में ज्यादातर सदस्य देश भारत के पक्ष में है, वहीं, कुछ देशों ने तो यहां तक कह दिया है कि यह विषय मेजबान राष्ट्र और इसकी अध्यक्षता करने वाले देश का विशेषाधिकार है। बता दें कि दिल्ली में 9 और दस सितंबर को जी-20 सम्मलेन होना है।
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