FSNL: भारत सरकार का उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (FSNL)आखिरकार निजी हाथों में चला गया है। हर साल 100 करोड़ का मुनाफा देने वाली कंपनी के निजीकरण का पहले से ही काफी विरोध था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे जापानी कंपनी को बेच दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भिलाई फैरो स्क्रैप को जापान की एक कंपनी ने 320 करोड़ में खरीद लिया है। केन्द्र सरकार के इस निर्णय के बाद जैसे ही आदेश और समझौते की कॉपी मिली, FSNLमें हड़कंप मच गया है। इसके बाद देशभर के FSNL की यूनियन के 19 प्रतिनिधि सोमवार को चेयरमैन मनेन्दू घोषाल से मिलने भिलाई पहुंचे।
बीजेपी सांसद प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे, बोले- मैं कर्मचारियों के साथ
FSNLके कॉर्पोरेट ऑफिस भिलाई के सामने कर्मचारियों ने सोमवार को भी जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उनसे मिलने दुर्ग से बीजेपी सांसद विजय बघेल भी पहुंचे। सांसद विजय बघेल ने कहा कि वो FSNL के कर्मचारियों के साथ हैं।
इस मामले को लेकर उन्होंने लगातार स्टील मिनिस्टर से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक से बात की है और मामला उनके संज्ञान में लाया है। वे चाहते हैं कि कर्मचारियों और अधिकारियों का कोई अहित ना हो।
यूनियन लीडर्स बोले-सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
सांसद विजय बघेल ने कहा कि चेयरमैन से उनकी बात हुई है और यूनियन के लोगों से भी मुलाकात की है। यूनियन के लोगों ने अपनी बात रखी है और वे उनके साथ ही खड़े हैं। इधर FSNL के यूनियन लीडर्स का कहना है कि वे अब सड़क की लड़ाई लड़ेंगे और इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
यूनियन लीडर्स ने लगाया सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप
यूनियन के लोगों का आरोप है कि एक ट्रांसपोर्ट कंपनी को इतनी बड़ी सरकारी कंपनी देना सरकार के बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यह निविदा निजीकरण के लिए निकाली गई थी। साल 2019 में भी इस कंपनी का निजीकरण करने की कोशिश की गई थी। बाद में सरकार ने अपने फैसले को वापस लिया था। एक बार फिर से निजीकरण के लिए निविदा बुलाई गई और इसे एक जापानी कंपनी को दे दिया गया।
कंपनी की एसेट्स वैल्यू 200 करोड़
इस कंपनी को सभी इस्पात संयंत्रों से अभी भी 225 करोड़ का भुगतान लेना बाकी है। कंपनी के पूरे एसेट्स की बात की जाए तो उसकी अनुमानित वैल्यू 200 करोड़ रुपए हैं। इसका हेड ऑफिस भिलाई में है, जिसकी अकेले की वैल्यू 50 करोड़ से ज्यादा की है।
FSNL 68 साल पुरानी कंपनी
FSNL, इस्पात मंत्रालय के तहत एमएसटीसी (MSTC) लिमिटेड की सहायक कंपनी है, जिसकी स्थापना 28 मार्च, 1979 को इस्पात मिलों को सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई थी यानी करीब 46 साल पुरानी कंपनी है। कंपनी संयंत्रों में आयरन और स्टील प्रोडक्शन के दौरान उत्पन्न होने वाले स्लग और कचरे से स्क्रैप की रिकवरी और प्रोसेसिंग में विशेषज्ञता रखती है।
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