हाइलाइट्स
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बारदाना परिवहन का करीब 100 करोड़ तक का है बजट।
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दर फिक्स नहीं होने से सरकार को राजस्व हानि की रहती है गुंजाइश।
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साल 2021 से शेड्यूल आफ रेट के हिसाब से होने लगे हैं टेंडर।
MP Civil Supplies Corporation: मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम यानी नान में सरकारी खरीदी के समय जिन बारदाने का उपयोग होता है, उनके ट्रांसपोर्टेशन के टेंडर में बड़ा खेल हो रहा है। यह खेल तीन सालों से चल रहा है।
मामला कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम यानी नान (MP Civil Supplies Corporation) में हर साल सिर्फ बारदाना ट्रांसपोर्टेशन यानी परिवहन का टेंडर ही 80 से 100 करोड़ रुपये तक का होता है।
तीन तरह के होते हैं टेंडर
MP Civil Supplies Corporation: नान में हर साल बारदाने परिवहन में 100 करोड़ के टेंडर, जानें चहेतों को काम देने कैसे हो रहा खेल!#MPNews @foodsuppliesmp @CMMadhyaPradesh @DrMohanYadav51 @cooperativedept @GovindSingh_R
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नागरिक आपूर्ति निगम (MP Civil Supplies Corporation) सरकारी खरीद यानी उपार्जन के समय अनाज को खरीदी केंद्र से गोडाउन तक पहुंचाने और फिर गोडाउन में रखे अनाज को एक-दूसरे जिलों में पहुंचाने के लिये परिवहन यानी ट्रांसपोर्टेशन का टेंडर जारी करता है।
इसी के साथ खरीदी केंद्र पर बरदाने की आवश्यकता के आधार पर इनके परिवहन का टेंडर भी हर साल जारी किया जाता है।
साल 2021 में बदल दी गई प्रक्रिया
नागरिक आपूर्ति निगम (MP Civil Supplies Corporation) में टेंडर की जो पुरानी पद्धति थी उसमें कई त्रुटियां थी, जिससे अपनो को फायदा पहुंचाकर सरकार को राजस्व की हानि की पहुंचाने की संभावना रहती थी।
यही कारण है कि भारत सरकार ने साल 2021 में टेंडर की पुरानी प्रक्रिया को खत्म कर SOR यानी शेड्यूल आफ रेट के आधार पर टेंडर प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया में दूरी के हिसाब से पहले ही रेट फिक्स हो जाते हैं।
टेंडर में उसी हिसाब से रेट दिये जाते हैं। एक ही रेट आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे सरकार को राजस्व का भी फायदा होता है।
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पुरानी प्रक्रिया में ये थी खामी
नागरिक आपूर्ति निगम (MP Civil Supplies Corporation) की पुरानी प्रक्रिया में दूरी के आधार पर अलग—अलग दर होती है। इसमें चहेतों या पुराने कांट्रेक्टर की मोनोपॉली की गुंजाइश बनी रहती है।
इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि A, B, C, D और E पांच रूट है। कोई दर फिक्स नहीं होने से मान लीजिए पुराने कांट्रेक्टर या किसी चहेतों को C और D का कांट्रेक्ट चाहिए तो वह यहां दर कम देगा।
बाकी बचे A, B और E रूट पर अधिक दर दे देगा। दो रूट पर कम लेकिन तीन रूट पर अधिक दर देने से टेंडर उसे आसानी से मिल जाएगा। चूंकि C और D रूट पर ही सबसे अधिक परिवहन होना है, इसलिए कांट्रेक्टर को कमाई भी यहीं से होना है। ऐसे में उसे कोई नुकसान भी नहीं उठाना होगा और टेंडर भी मिल जाएगा।
मामले की शिकायत भी हुई
पूरे मामले में नागरिक आपूर्ति निगम (MP Civil Supplies Corporation) के जिम्मेदारों के खिलाफ एक विस्तृत शिकायत भी की गई है।
शिकायत में बारदाना परिवहन के लिये किये जा रहे टेंडर की प्रक्रिया पर तो सवाल उठाए ही हैं, साथ ही जेम पोर्टल से हटकर ई—टेंडर प्रक्रिया को अपनाने को लेकर भी जांच की मांग की गई है।
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विभाग एक तो टेंडर की प्रक्रिया अलग-अलग क्यों?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि जब विभाग एक ही है तो टेंडर की प्रक्रिया या पद्धति अलग-अलग क्यों है? नागरिक आपूर्ति निगम यानी नान (MP Civil Supplies Corporation) में साल 2021 से बारदाना परिवहन को छोड़कर ट्रांसपोर्टेशन के सभी टेंडर SOR यानी शेड्यूल आफ रेट के आधार पर ही हो रहे हैं।
वहीं नियमों से हटकर हर साल करीब 100 करोड़ तक के टेंडर पुरानी प्रक्रिया से कर पुराने कांट्रेक्टर या चहेतो को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
क्या चहेतों को पहुंचाया जा रहा फायदा?
अब आप ये समझिये कि नागरिक आपूर्ति निगम (MP Civil Supplies Corporation) में चहेतों या पुराने कांट्रेक्टर को फायदा पहुंचाने की कैसे गुंजाइश रहती है। अगस्त 2023 में HLRT बारदाना ट्रांसपोर्टेशन का 7 जगहों के लिये पुरानी पद्धति से टेंडर निकाला जाता है।
इनमें सागर, मंडीदीप और भोपाल सहित अन्य एक जगह पर पुराने कांट्रेक्टर ही काम कर रहे हैं, जिन्होंने नान में नवंबर 2021 से मई 2023 के बीच टेंडर लिये थे।
वहीं शेष बचे 3 लोकेशन इनमें सागर जिले के दो और भिंड जिले की एक लोकेशन शामिल हैं, में रेट फिक्स नहीं होने से हाल ही में दोबारा टेंडर निकाला है।
तीन साल में फिक्स ही नहीं कर सके एसओआर
नागरिक आपूर्ति निगम (MP Civil Supplies Corporation) में महाप्रबंधक परिवहन प्रियंका गोयल ने स्वीकार किया कि SOR यानी शेड्यूल आफ रेट के बिना ही सिर्फ बारदाने ट्रांसपोर्टेशन के टेंडर हुए है। हालांकि उन्होंने इसके पीछे किसी भी तरह की धांधली से साफ इंकार किया है।
प्रियंका गोयल ने बताया कि SOR से रेट फिक्स हो जाते हैं, इसके कारण उससे कम दर पर कोई टेंडर नहीं होने से सरकार को राजस्व की हानि नहीं होती। जब महाप्रबंधक परिवहन प्रियंका गोयल से ये पूछा कि तीन साल से सिर्फ बारदाने का SOR क्यों डिसाइड नहीं हो पाया। पुराने कांट्रेक्टर ही ट्रांसपोर्टेशन का काम कैसे कर रहे हैं। इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल सका।