Frank Duckworth: DLS मैथड… यह शब्द तो क्रिकेट फैंस के लिए भी बेहद चिर-परिचित सा हो गया है। आज सुबह ही बारिश बाधित टी-20 वर्ल्ड कप के सबसे रोमांचक मुकाबले में DLS मैथड के द्वारा अफगानिस्तान ने बांग्लादेश को हराकर इतिहास रच दिया। आप अब तो समझ गए होंगे कि बारिश से प्रभावित क्रिकेट मैचों का नतीजा निकालने के लिए DLS मैथड का उपयोग किया जाता है। इस मैथड की खोज करने वाले फ्रेंक डकवर्थ (Frank Duckworth) का मंगलवार, 25 जून को इंतकाल हो गया। वे अपने जीवन का शतक पूरा करने से 16 साल पीछे कर गए। यानी वे जीवन के 84 साल ही पूरे कर सके। उनके साथी और DLS (Duckworth–Lewis Stern) मैथड खोजने वाले टोनी लुइस (Tony Lewis) का 4 साल पहले ही निधन हो चुका है।
डकवर्थ औा टोनी लुइस ने की मैथड की खोज
इंग्लैंड के स्टैटीशियन फ्रेंक डकवर्थ ने टोनी लुइस के साथ मिलकर इस मैथड की खोज की थी,
जिसे इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने 1 जनवरी 1997 को पहली बार जिम्बाब्वे और इंग्लैंड के मैच में लागू किया था।
इस मुकाबले को जिम्बाब्वे ने 7 रन से जीता था।
उसके बाद ICC ने इसे 1999 में अप्रूव किया और 2001 में टारगेट रिवाइज करने के लिए स्टैंडर्ड मैथड के तौर पर ऑफिसयिल तौर से लागू किया।
उन्हें 2010 में MBE (मेंबर ऑफ ब्रिटेश एम्पायर) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
कैसे लागू हुआ DLS मैथड?
2007 में डकवर्थ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुझे इसकी जरूरत का एहसास 1992 वनडे वर्ल्ड कप सेमीफाइनल के दौरान हुआ।
जब BBC के कमेंटेटर क्रिस्टोफर मार्टिन-जेनकिंस ने साउथ अफ्रीका की हार के बाद कहा था, मैं पूरे भरोसे से कह सकता हूं कि कोई कहीं से कुछ बेतहर लेकर आएगा।
दरअसल, सिडनी में खेले गए उस मुकाबले में साउथ अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रन की जरूरत थी, तभी बारिश आ गई।
रेन रूल्स (rain rules) के मुताबिक, इस टारगेट को रिवाइज करके एक बॉल पर 22 रन कर दिया गया था।
BCCI ने पहले नकारा, फिर अपनाया: भारत-पाक मैच से भारत में लागू
भारत में पहली बार इस मैथड का प्रयोग 2006 में किया गया था। BCCI ने पहले तो इस मैथड का जबरदस्त विरोध किया,
बाद में अपना लिया। भारत में इस नियम का इस्तेमाल 2006 में भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहे मैच में किया गया था।
भारत-पाक इय वनडे मैच में भारतीय टीम 328 रन बनाकर ऑल आउट हो गई थी, जबकि पाकिस्तान की ओर से 47 ओवर में सात विकेट खोने के बाद 311 रन बनाए गए थे।
इस बीच बारिश के कारण मैच को रोकना पड़ा और पाकिस्तान को डकवर्थ लुइस नियम के तहत विजयी घोषित किया गया।
2015 में ऐसे DL से DLS हुआ नाम
साल 2015 में डकवर्थ लुइस फॉर्मूला बदलकर डकवर्थ लुइस स्टर्न फॉर्मूला (Duckworth Lewis Stern method) कर दिया गया।
डकवर्थ और लुइस की रिसर्च को क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीव स्टर्न के द्वारा किए गए शोध को भी शामिल कर लिया गया।
इस रिसर्च में टीमों के लिए शुरुआत में लक्ष्य का पीछा करते हुए विकेट बचाकर रखने के साथ-साथ तेजी से रन बनाने को भी शामिल किया गया है,
जो कि T-20 मैचों में अहम हो गया। इसके बाद इसे DL की जगह DLS मैथड कहा जाने लगा।
थ्री-डायमेंशनल है यह मैथड
यह मैथड 3-डायमेंशनल है, यानी इसकी गणना रन, विकेट और ओवर पर बेस्ड होती है। डकवर्थ-लुईस नियम का सार है संसाधन यानी रिसोर्स।
क्रिकेट मैच में दौरान किसी भी समय टीम के रन बनाने की क्षमता 2 बातों पर निर्भर करती है- पहला कितने ओवर या गेंद हैं और इसके साथ कितने विकेट हैं।
इन 2 संसाधनों के आधार पर टीमें ज्यादा से ज्यादा रन बनाने की कोशिश करती हैं।
दूसरी टीम के लिए टारगेट सेट करने के लिए सबसे जरूरी आंकड़ा है, पहली टीम का अंतिम स्कोर। पहली टीम ने ये स्कोर कितने ओवर में कितने विकेट के नुकसान पर बनाया है, इसका भी महत्व होता है।
ऐसे समझें DLS मैथड को
अगर किसी टीम ने 50 ओवर खेलकर 270 रन बनाए और दूसरी टीम 30 ओवर में 4 विकेट पर 160 रन बना चुकी है और बारिश के कारण आगे मैच रोकना पड़ गया।
तो पहले दोनों टीमों के उपयोग किए गए रिसोर्स की गिनती की जाएगी।
पहली टीम ने पूरे 50 ओवर खेले, ऐसे में उसने अपने 100% रिसोर्स उपयोग कर लिए, लेकिन दूसरी टीम के 20 ओवर और 6 विकेट बाकी रहे,
इस हिसाब से उसके 55.4% रिसोर्स डकवर्थ-लुईस मैथड के लिए (उपयोग की जाने वाली टेबल के आधार पर) ही उपयोग हो पाए। ऐसे में मुकाबले का रिजल्ट ऐसे निकाला जाएगा…
DLS मैथड टेबल
टीम-2 का लक्ष्य = 270* (55.4/100)
टीम-2 का लक्ष्य = 150 रन
(चूंकि टीम-2 पहले ही 160 रन बना चुकी है। ऐसे में उसे 10 रन से विजयी घोषित किया जाएगा।)
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