Indore: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक पॉक्सो कोर्ट ने बड़ा फैससा सुनाया है। बता दें कि नाबालिग लड़के का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 24 वर्षीय एक महिला को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। एमपी में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी महिला को POCSO एक्ट के तहत सजा सुनाई गई है।
फैसले में विशेष जज (पॉक्सो एक्ट) सुरेखा मिश्रा ने कहा, “पॉक्सो एक्ट में हमेशा ऐसा नहीं होता कि पुरुष ही दोषी होगा। इस अधिनियम के तहत एक महिला या एक लड़की भी एक पुरुष के समान सजा की हकदार है। ” सजा सुनाए जाने के आदेश के मुताबिक, राजस्थान की महिला 19 साल की थी, जब उसके 15 साल के लड़के के साथ संबंध बने।
विशेष अदालत ने महिला को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 5L/6 (यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी पाया और उसे दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। महिला को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 (अपहरण) के तहत भी दोषी पाया गया और उसे पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।
बच्चा दुकान पर दूध लेने गया था, लेकिन वापस नहीं आया
जानकारी के मुताबिक, नवंबर 2018 में, इंदौर की एक महिला ने बाणगंगा पुलिस स्टेशन में अपने 15 वर्षीय बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराई। बच्चा दुकान पर दूध लेने गया था, लेकिन वापस नहीं आया। बाद में, पुलिस ने पाया कि एक 19 वर्षीय लड़की भी लापता थी और लड़की के पिता ने सूचित किया कि वे गुजरात में हैं। जिसके बाग पुलिस ने उन्हें गुजरात से बरामद किया।
पूछताछ के दौरान लड़के ने बताया था आरोपी महिला उसे छुट्टी का झांसा देकर गुजरात ले गई, जहां उसने उसे टाइल्स फैक्ट्री में काम कराया और उसके साथ 5-6 बार शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान लड़की ने उसे अपने माता-पिता से बात नहीं करने दी।
मेडिकल रिपोर्ट ने निभाई अहम भूमिका
डीपीओ, संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि लड़की सेक्स की आदी पाई गई जबकि 15 साल के नाबालिग लड़के की मेडिकल रिपोर्ट से पता चला कि उसके सेकेंडरी सेक्सुअल ऑर्गन्स पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे।
उच्च न्यायालय में चुनौती देगी
इधर, फैसला आने के बाद आरोपी महिला ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। महिला का कहना है कि संबंध आपसी सहमति से विकसित हुए थे। बता दें कि महिला अब शादीशुदा है और वह दो साल की बेटी की मां भी है।