नई दिल्ली। कालिंदी कुंज में यमुना नदी से झाग हटाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा 15 नावें तैनात करने के एक दिन बाद बुधवार को विभिन्न एजेंसियों ने झाग को दूर करने के लिए बांस के जाल लगाए और पानी का छिड़काव किया। ये झाग नदी के पानी की खतरनाक गुणवत्ता का संकेत हैं। अधिकारियों ने माना है कि झाग की समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक दिल्ली में जल-मल शोधन संयंत्रों (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) को नए मानकों के अनुरूप ‘अपग्रेड’ नहीं कर दिया जाता। दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि झाग को खत्म करने के लिए पानी के छिड़काव के निर्देश जारी किए गए हैं क्योंकि ”कोई अन्य अल्पकालिक उपाय कारगर नहीं हो पाएगा।”
दिल्ली: यमुना नदी में जहरीले झाग को घाट पर आने से रोकने के लिए कालिंदी कुंज में बैरिकेड लगाए जा रहे हैं। pic.twitter.com/KQr8O0e2Ts
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 10, 2021
उन्होंने कहा, ”पानी के छिड़काव से झाग बिखर जाएगा। झाग में फंसे हवा के बुलबुले निकल जाएंगे और यह खत्म हो जाएगा।” सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कालिंदी कुंज में झाग को हटाने के लिए बांस के जाल लगाए गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि ये कवायद प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित होने तक जारी रहेगी।बुधवार तड़के ओखला बैराज के नीचे कालिंदी कुंज में यमुना घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए, लेकिन पुलिस ने उन्हें हटा दिया। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने महामारी को देखते हुए यमुना के तट पर छठ पूजा समारोह पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था। दिल्ली सरकार ने अनुष्ठान करने के लिए दिल्ली में 800 अस्थायी घाट बनाए हैं।
#WATCH दिल्ली: यमुना नदी में जहरीले झाग को हटाने के लिए बोट का इस्तेमाल किया जा रहा है और पानी का छिड़काव कराया जा रहा है। pic.twitter.com/UfT0Y0o1WH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 10, 2021
छठ पूजा समिति, कालिंदी कुंज के अध्यक्ष विकास राय ने कहा कि सरकार ”अपनी विफलता पर पर्दा डालना चाहती है और श्रद्धालुओं को नदी में झाग के बारे में चिंता नहीं है।” उन्होंने कहा, ”नाव, जाल और पानी के छिड़काव से मदद नहीं मिलेगी। जैसे ही आप इसे हटाएंगे, झाग वापस आ जाएगा। यह एक ढकोसला है ताकि मीडिया प्रदूषण पर सरकार की आलोचना न करे।” दिल्ली सरकार ने यमुना में जहरीले झाग को लेकर आलोचनाओं के बीच मंगलवार को इसे हटाने के लिए 15 नौकाओं को तैनात किया। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की इस योजना का क्रियान्वयन सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग और राजस्व विभाग की मदद से किया जा रहा है।