Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में लगभग सभी गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड की समस्या है। इससे लोगों में डेंटल फ्लोरोसिस का शिकार हो रहे हैं।
इसको लेकर हाईकोर्ट बिलासपुर (Bilaspur High Court) ने जन समस्या मानकर स्वत: संज्ञान लिया था। इसके साथ ही जिला प्रशासन और विभागीय सचिव को नोटिस देकर जवाब मांगा था। इस मामले में विभागीय सचिव ने कोर्ट के नोटिस का जवाब दिया है।
बता दें कि गरियाबंद जिले के लगभग हर गांव में बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस की चपेट में हैं। यह बीमारी पानी में अधिक मात्रा में फ्लोराइड के कारण होती है।
बताया जा रहा है कि इसको कंट्रोल करने 40 गांवों में 6 करोड़ खर्च किए गए और प्लांट लगाए। ये प्लांट कुछ समय बाद ही बंद हो गए। इस पर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने संज्ञान लिया और नोटिस भेजा था।
तीन गुना मिला फ्लोराइड
पीएचई विभाग को हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने नोटिस दिया था। विभागीय सचिव ने हाईकोर्ट के नोटिस पर जवाब दिया है। उन्होंने गरियाबंद जिले के गांवों में फ्लोराइड के मामले को लेकर कहा कि क्षेत्र में इलाज लगातार जारी है।
उन्होंने जवाब में कहा कि पानी में 8 गुना फ्लोराइड की बात कही गई थी, लेकिन ये सही नहीं है। पानी में अधिकतम तीन गुना ही फ्लोराइड पाया गया है। 40 फ्लोराइड रिमूवल प्लांट हैं। इन प्लांट्स में से 24 अच्छे हैं, ये सही तरीके से काम कर रहे हैं। जो बचे हैं और बंद है, उन्हें सुधारा जा रहा है।
2 हजार से ज्यादा पीड़ितों की संख्या
बता दें कि गरियाबंद जिले गांवों में हालत यह है कि औसत 50 बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस का शिकार पाए गए हैं। इसके अलावा देवभोग ब्लॉक के गांवों में पीड़ितों की संख्या 2 हजार से अधिक पहुंच गई है।
वर्ष 2016 में शासन-प्रशासन को पानी में फ्लोराइड (Bilaspur High Court) अधिक होने की जानकारी मिल गई थी। देवभोग ब्लॉक के इन 40 गांवों के स्कूलों में पानी की सप्लाई की जा रही है, वहां 8 गुना से अधिक फ्लोराइड पाया गया था। यहां प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाने का फैसला लिया था।
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फ्लोराइड अलग करने की व्यवस्था नहीं
जानकारी मिली है कि पानी से फ्लोराइड (Bilaspur High Court) अलग करने के लिए प्रयास नहीं किए गए हैं। इसकी जांच में सामने आया है कि अधिक मात्रा में फ्लोराइड वाले ग्राम नांगलदेही, गोहरापदर, पीठापारा दरलीपारा, झाखरपारा, धुपकोट, घूमगुड़ा. मोखागुड़ा, सुकलीमाठ, निष्टिगुड़ा, मूरगुडा, माहुकोट, खम्हारगुड़ा, पूरनापानी बरबहली, कचिया, धौराकोट, बाड़ी गांव, मूड़ागाव, मगररोडा गांव हैं। इन गांवों में हालत यह है कि औसत 50 बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस का शिकार हैं। ये सभी बच्चे औसतन दस साल से कम उम्र के हैं।