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First Movie of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की पहली फिल्म जिसे देखने को इंदिरा गांधी भी हो गईं थीं मजबूर.. जानें इसकी कहानी

First Movie of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ी सिनेमा की पहली फिल्म "कहि देबे संदेस" ने जातिवाद, छुआछूत जैसे मुद्दों को उठाकर सामाजिक बदलाव की शुरुआत की।

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Shashank Kumar
First Movie of Chhattisgarh

First Movie of Chhattisgarh

First Movie of Chhattisgarh: सन् 1965 में रिलीज हुई छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली फिल्म "कहि देबे संदेस" ने न केवल सिनेमा जगत में इतिहास रचा, बल्कि समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिवाद जैसे गंभीर मुद्दों को भी केंद्र में लाकर खड़ा किया। इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक मनु नायक को छत्तीसगढ़ी सिनेमा का पितामह माना जाता है। उस दौर में, जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य भी नहीं था, उन्होंने सीमित संसाधनों में यह फिल्म बनाई जो आज भी एक मील का पत्थर मानी जाती है।

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सामाजिक मुद्दों को दिया सिनेमा के माध्यम से स्वर

"कहि देबे संदेस" (kahi debe sandes) सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, यह समाज में व्याप्त असमानता, छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक क्रांतिकारी कदम था। फिल्म की कहानी ब्राह्मण और दलित पात्रों के बीच प्रेम को लेकर थी, जो उस समय सामाजिक रूप से अत्यंत विवादास्पद मानी जाती थी। विरोध के बावजूद यह फिल्म अपनी गूंज छोड़ने में सफल रही।

[caption id="attachment_844843" align="alignnone" width="1068"]First Movie of Chhattisgarh First Movie of Chhattisgarh[/caption]

मोहम्मद रफी की आवाज और इंदिरा गांधी की सराहना से मिली राष्ट्रीय पहचान

फिल्म में प्रसिद्ध पार्श्वगायक मोहम्मद रफी की उपस्थिति ने इसे एक अलग ही ऊंचाई दी। रफी साहब का गाना इस फिल्म की आत्मा बन गया और क्षेत्रीय सिनेमा के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि साबित हुई। इतना ही नहीं, तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी ने भी फिल्म के कुछ हिस्से देखकर कहा कि यह राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देती है।

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विवादों के बीच टैक्स फ्री हुई फिल्म

फिल्म (First Movie of Chhattisgarh) को लेकर विवाद भी हुए- पोस्टर फाड़े गए, प्रदर्शन रुकवाने की धमकियां दी गईं। लेकिन मिनी माता और भूषण केयूर जैसे प्रगतिशील नेताओं के समर्थन और इंदिरा गांधी की सराहना के बाद सरकार ने इसे टैक्स फ्री कर दिया। इसके बाद राज्यभर के सिनेमाघरों में इसे प्रदर्शित किया गया और यह फिल्म राजकमल टॉकीज में लगातार आठ सप्ताह तक चली।

[caption id="attachment_844844" align="alignnone" width="1072"]First Movie of Chhattisgarh kahi debe sandes First Movie of Chhattisgarh kahi debe sandes[/caption]

छत्तीसगढ़ी सिनेमा की नींव बनी यह फिल्म

"कहि देबे संदेस" ने छत्तीसगढ़ी भाषा और लोकसंस्कृति को पहली बार पर्दे पर जीवंत किया। इसकी सफलता ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए नई राहें खोलीं। यह फिल्म आज भी छत्तीसगढ़ी सिनेमा की स्वर्ण जयंती जैसे समारोहों में विशेष सम्मान के साथ दिखाई जाती है।

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छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को मिला आत्मबल

इस फिल्म (First Movie of Chhattisgarh) की ऐतिहासिक सफलता के बाद “मोर छईहां भुइंया”, “मया दे दे मयारू” जैसी फिल्मों ने क्षेत्रीय सिनेमा को और मजबूती दी। अब जब राज्य सरकार फिल्म सिटी विकसित कर रही है, तब यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा न केवल मनोरंजन का माध्यम है बल्कि संस्कृति और अस्मिता का सशक्त मंच बन चुका है।

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