गाजियाबाद। किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी दो अक्टूबर तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहेंगे और मांगों पर कोई समझौता नहीं होगा। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता ने कहा कि सरकार द्वारा विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने के बाद ही किसान घर लौटेंगे। उन्होंने कहा, हम दो अक्टूबर तक यहां बैठेंगे। गत नवम्बर से दिल्ली-मेरठ राजमार्ग के एक हिस्से पर अपने समर्थकों के साथ आंदोलन कर रहे टिकैत ने कहा, अगर सरकार यह समझ रही है, तो किसानों से बात करें। एमएसपी पर एक कानून बनाएं, तीन कानूनों को वापस लें, उसके बाद ही किसान अपने घरों को लौटेंगे।
शरारती तत्वों ने किया शांति भंग करने का प्रयास
प्रेस से बातचीत करते हुए, उन्होंने दावा किया कि शनिवार को दोपहर 12 बजे से अपराह्र तीन बजे के लिए घोषित ‘‘चक्का जाम’’ के दौरान कुछ ‘‘शरारती तत्वों द्वारा शांति भंग करने की कोशिश’’ किये जाने के बारे में कुछ सूचनाएं मिली थीं। टिकैत (51) ने कहा, इन सूचनाओं के कारण, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ‘चक्का जाम’ नहीं करने का फैसला लिया गया। उन्होंने किसानों से आंदोलन का समर्थन सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, हम ही किसान हैं, हम ही जवान हैं। यह आंदोलन का हमारा नारा होने जा रहा है। टिकैत ने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने खेतों से मिट्टी लाकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हों और विरोध स्थलों से इतनी ही मात्रा में क्रांति की ‘‘मिट्टी’’ वापस लें। उन्होंने कहा, यह आंदोलन एक साल तक जारी रहेगा। यह सरकार के लिए एक खुला प्रस्ताव है। एमएसपी पर एक कानून बनाना होगा, इसके बिना हम घर वापस नहीं जाएंगे। तीन कानून वापस लिए जाएंगे। इन दोनों मांगों को पूरा करना होगा और उस पर कोई समझौता नहीं होगा। इससे बड़ा आंदोलन नहीं हो सकता। हम विरोध नहीं छोड़ सकते और न ही हम सरकार छोड़ रहे हैं।
बोले टिकैत कि अगर अभी नहीं तो कभी नहीं
टिकैत ने कहा, यदि कानून अभी नहीं बने, तो यह कभी नहीं होगा। देश के किसानों को आधी दरों पर लूटा गया है। एमएसपी की कीमतें पंजाब और हरियाणा में दी जाती हैं लेकिन देश भर में नहीं। यह (विरोध) पूरे देश के लिए है। वे हमें यह कहते हुए कि यह एक राज्य का आंदोलन है, विभाजित करने का प्रयास करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। यह अखिल भारतीय आंदोलन है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन उन क्षेत्रों में पुलिस थानों पर किया जायेगा जहां आंदोलन में शामिल होने वाले लेागों को नोटिस दिये गये है। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने वालों को पुलिस नोटिस मिल रहे है। लेकिन अयोध्या में हिंसा में शामिल होने वालों को कोई नोटिस नहीं भेजा गया। वहां कितने लोग थे?उन्होंने कहा, कोई भी खेती की जमीन को नहीं छू सकता है, किसान इसकी रक्षा करेंगे। किसानों और सैनिकों दोनों को इसके लिए आगे आना चाहिए। गाजीपुर बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात थे। बैरिकेड के दूसरी तरफ सुरक्षाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने, हाथ जोड़कर कहा, आप सभी को मेरा प्रणाम। अब आप सभी मेरे खेतों की रक्षा करेंगे।